BackBack

Kitta Pani

Anita Gopesh

Rs. 140

कित्ता पानी - 'कित्ता पानी' अनिता गोपेश का पहला कहानी संग्रह है। अनिता गोपेश अपनी कहानियों के सन्दर्भ मध्यवर्गीय समाज से जुटाती हैं। रूढ़ि और आधुनिकता के बीच विकसित होते सम्बन्धों को केन्द्र में रखकर उनकी कहानियाँ आकार पाती हैं। लेखिका ने स्त्री-विमर्श की पक्षधरता के अनुरूप कहानियों में स्त्री... Read More

Reviews

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
readsample_tab
कित्ता पानी - 'कित्ता पानी' अनिता गोपेश का पहला कहानी संग्रह है। अनिता गोपेश अपनी कहानियों के सन्दर्भ मध्यवर्गीय समाज से जुटाती हैं। रूढ़ि और आधुनिकता के बीच विकसित होते सम्बन्धों को केन्द्र में रखकर उनकी कहानियाँ आकार पाती हैं। लेखिका ने स्त्री-विमर्श की पक्षधरता के अनुरूप कहानियों में स्त्री जीवन की विभिन्न स्थितियों को रेखांकित किया है। 'बोल मेरी मछली कित्ता पानी', 'टैडी बीयर', 'अन्ततः', 'लाइफ लाइन', 'देहरी भइल बिदेस', 'पहला प्यार' और 'एक सम्बन्ध अनाम' सदृश रचनाओं में जो मुख्य पात्र हैं वे परिवार, प्रेम, अस्तित्व व आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं के बीच संघर्षरत हैं। इन समस्याओं के लिए जो कारण उत्तरदायी हैं, लेखिका ने उनकी ओर भी संकेत किया है। उल्लेखनीय है कि 'स्त्री जीवन' को प्रमुखता देते हुए अनेक समकालीन रचनाकार कहानियाँ लिख रहे हैं, अनिता गोपेश की विशेषता यह है कि वे समाज को स्त्री और पुरुष में बाँटकर नहीं देखतीं। एक 'समेकित सामाजिकता' के भीतर दिन-प्रतिदिन होनेवाले 'जटिल भावनात्मक युद्ध' की व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ उनकी कहानियों में अनुगुंजित हैं। आधुनिकता के इतने दावों के बाद भी क्या नियति, मर्यादा और लोकापवाद के तर्क स्त्री जीवन को क्षत-विक्षत करते रहेंगे? ऐसे अनेकानेक प्रश्नों के उत्तर अनिता गोपेश अपनी कहानियों में तलाश करती हैं।अनिता गोपेश की भाषा निरलंकार होने के बावजूद पर्याप्त प्रभावी है। उसमें व्यक्ति के मनोभावों का सूक्ष्म विवेचन भलीप्रकार रेखांकित हुआ है। 'कित्ता पानी'- एक रोचक कहानी-संग्रह।
Description
कित्ता पानी - 'कित्ता पानी' अनिता गोपेश का पहला कहानी संग्रह है। अनिता गोपेश अपनी कहानियों के सन्दर्भ मध्यवर्गीय समाज से जुटाती हैं। रूढ़ि और आधुनिकता के बीच विकसित होते सम्बन्धों को केन्द्र में रखकर उनकी कहानियाँ आकार पाती हैं। लेखिका ने स्त्री-विमर्श की पक्षधरता के अनुरूप कहानियों में स्त्री जीवन की विभिन्न स्थितियों को रेखांकित किया है। 'बोल मेरी मछली कित्ता पानी', 'टैडी बीयर', 'अन्ततः', 'लाइफ लाइन', 'देहरी भइल बिदेस', 'पहला प्यार' और 'एक सम्बन्ध अनाम' सदृश रचनाओं में जो मुख्य पात्र हैं वे परिवार, प्रेम, अस्तित्व व आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं के बीच संघर्षरत हैं। इन समस्याओं के लिए जो कारण उत्तरदायी हैं, लेखिका ने उनकी ओर भी संकेत किया है। उल्लेखनीय है कि 'स्त्री जीवन' को प्रमुखता देते हुए अनेक समकालीन रचनाकार कहानियाँ लिख रहे हैं, अनिता गोपेश की विशेषता यह है कि वे समाज को स्त्री और पुरुष में बाँटकर नहीं देखतीं। एक 'समेकित सामाजिकता' के भीतर दिन-प्रतिदिन होनेवाले 'जटिल भावनात्मक युद्ध' की व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ उनकी कहानियों में अनुगुंजित हैं। आधुनिकता के इतने दावों के बाद भी क्या नियति, मर्यादा और लोकापवाद के तर्क स्त्री जीवन को क्षत-विक्षत करते रहेंगे? ऐसे अनेकानेक प्रश्नों के उत्तर अनिता गोपेश अपनी कहानियों में तलाश करती हैं।अनिता गोपेश की भाषा निरलंकार होने के बावजूद पर्याप्त प्रभावी है। उसमें व्यक्ति के मनोभावों का सूक्ष्म विवेचन भलीप्रकार रेखांकित हुआ है। 'कित्ता पानी'- एक रोचक कहानी-संग्रह।

Additional Information
Book Type

Hardbound

Publisher Jnanpith Vani Prakashan LLP
Language Hindi
ISBN 978-8126316557
Pages 168
Publishing Year 2011

Kitta Pani

कित्ता पानी - 'कित्ता पानी' अनिता गोपेश का पहला कहानी संग्रह है। अनिता गोपेश अपनी कहानियों के सन्दर्भ मध्यवर्गीय समाज से जुटाती हैं। रूढ़ि और आधुनिकता के बीच विकसित होते सम्बन्धों को केन्द्र में रखकर उनकी कहानियाँ आकार पाती हैं। लेखिका ने स्त्री-विमर्श की पक्षधरता के अनुरूप कहानियों में स्त्री जीवन की विभिन्न स्थितियों को रेखांकित किया है। 'बोल मेरी मछली कित्ता पानी', 'टैडी बीयर', 'अन्ततः', 'लाइफ लाइन', 'देहरी भइल बिदेस', 'पहला प्यार' और 'एक सम्बन्ध अनाम' सदृश रचनाओं में जो मुख्य पात्र हैं वे परिवार, प्रेम, अस्तित्व व आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं के बीच संघर्षरत हैं। इन समस्याओं के लिए जो कारण उत्तरदायी हैं, लेखिका ने उनकी ओर भी संकेत किया है। उल्लेखनीय है कि 'स्त्री जीवन' को प्रमुखता देते हुए अनेक समकालीन रचनाकार कहानियाँ लिख रहे हैं, अनिता गोपेश की विशेषता यह है कि वे समाज को स्त्री और पुरुष में बाँटकर नहीं देखतीं। एक 'समेकित सामाजिकता' के भीतर दिन-प्रतिदिन होनेवाले 'जटिल भावनात्मक युद्ध' की व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ उनकी कहानियों में अनुगुंजित हैं। आधुनिकता के इतने दावों के बाद भी क्या नियति, मर्यादा और लोकापवाद के तर्क स्त्री जीवन को क्षत-विक्षत करते रहेंगे? ऐसे अनेकानेक प्रश्नों के उत्तर अनिता गोपेश अपनी कहानियों में तलाश करती हैं।अनिता गोपेश की भाषा निरलंकार होने के बावजूद पर्याप्त प्रभावी है। उसमें व्यक्ति के मनोभावों का सूक्ष्म विवेचन भलीप्रकार रेखांकित हुआ है। 'कित्ता पानी'- एक रोचक कहानी-संग्रह।