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About Book "ख़ामुशी रास्ता निकालेगी" उर्दू के युवा शायर धीरेन्द्र सिंह फ़ैयाज़ की ग़ज़लों का पहला संकलन है| यह किताब देवनागरी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित हुई है और इसे पाठकों का भरपूर प्यार मिला है| About Author धीरेन्द्र सिंह फैयाज़ ज़बान और अदब के एक सन्जीदा क़ारी और... Read More
About Book
"ख़ामुशी रास्ता निकालेगी" उर्दू के युवा शायर धीरेन्द्र सिंह फ़ैयाज़ की ग़ज़लों का पहला संकलन है| यह किताब देवनागरी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित हुई है और इसे पाठकों का भरपूर प्यार मिला है|
About Author
धीरेन्द्र सिंह फैयाज़ ज़बान और अदब के एक सन्जीदा क़ारी और शाइर हैं। उनका मुतालआ वसीअ है और वो मौजूदा अदबी और शाइराना मसाइल पर गहरी नज़र रखते हैं। फैय्याज़ जितने सन्जीदा क़ारी हैं उतने ही सन्जीदा लेखक और शाइर भी हैं। पढ़ने- पढ़ाने की अपनी बेहतरीन सलाहियत के बाइ'स साहित्य के समकालीन परिदृश्य में अपने क़ारईन और शागिर्दों के दरमियान वो बे- हद सम्मानित और प्रिय हैं।
उनकी पैदाइश 10 जुलाई 1987 में खजुराहो के नज़्दीक चन्दला नाम के एक क़स्बे में हुई। फ़य्याज़ इन दिनों मुस्तक़िल तौर पर इन्दौर में रहते हैं।
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"ख़ामुशी रास्ता निकालेगी" उर्दू के युवा शायर धीरेन्द्र सिंह फ़ैयाज़ की ग़ज़लों का पहला संकलन है| यह किताब देवनागरी और उर्दू दोनों लिपियों में प्रकाशित हुई है और इसे पाठकों का भरपूर प्यार मिला है|
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धीरेन्द्र सिंह फैयाज़ ज़बान और अदब के एक सन्जीदा क़ारी और शाइर हैं। उनका मुतालआ वसीअ है और वो मौजूदा अदबी और शाइराना मसाइल पर गहरी नज़र रखते हैं। फैय्याज़ जितने सन्जीदा क़ारी हैं उतने ही सन्जीदा लेखक और शाइर भी हैं। पढ़ने- पढ़ाने की अपनी बेहतरीन सलाहियत के बाइ'स साहित्य के समकालीन परिदृश्य में अपने क़ारईन और शागिर्दों के दरमियान वो बे- हद सम्मानित और प्रिय हैं।
उनकी पैदाइश 10 जुलाई 1987 में खजुराहो के नज़्दीक चन्दला नाम के एक क़स्बे में हुई। फ़य्याज़ इन दिनों मुस्तक़िल तौर पर इन्दौर में रहते हैं।