Kavitavali (Tulsidas Krit)
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Item Weight | 0.33 |
ISBN | 978-8180311246 |
Author | Tulsidas, Ed. Sudhakar Pandey |
Language | Hindi |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Pages | 209 |
Dimensions | 22*14*2 |
Publishing year | 2009 |
Edition | 2nd |

Kavitavali (Tulsidas Krit)
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गोस्वामी तुलसीदास का सम्पूर्ण जीवन और कृतित्व राम के प्रति समर्पित और राममय था। यद्यपि ‘कवितावली’ तुलसी के मुक्तक पदों का संग्रह है, किन्तु इसमें राम के बालरूप से लेकर राम के सभी रूपों की झाँकी है। तुलसी के अतिप्रिय राम सम्बन्धित मार्मिक प्रसंग भी इन मुक्तकों में मिलते हैं। ‘कवितावली’ तुलसीदास की ऐसी कृति है जिसमें उनका व्यक्तित्व राम-महिमा के साथ देश-काल से तादात्म्य करता हुआ एक संघर्षशील सर्जनात्मक, लोकमंगलाकांक्षी भक्त के रूप में प्रकट होता है। इस काव्य में रामचरित और उनसे सम्बद्ध चरित्रों की तथा उनके चरित्र की महिमा का आख्यान तो है ही, इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन स्थानों, उन तत्त्वों के भी सम्बन्ध में तुलसीदास स्पष्ट प्रकट होते हैं जो उनके जीवन में गुण-धर्म के समान समा गए हैं और जो उनके व्यक्तित्व को प्रकट करते हैं। तुलसीदास के महान व्यक्तित्व के पीछे देश-काल को देखने की उनकी जो सर्जनात्मक दृष्टि है, उसका भी हमें इसमें ज्ञान प्राप्त होता है।तुलसीदास जी केवल द्रष्टा ही नहीं कर्मजयी स्रष्टा भी हैं और उनकी जीवन-गति में जो अवरोध समाज के सम्मुख आते हैं, उनसे संघर्षकर्ता तथा अजेय योद्धा के रूप में भी ‘कवितावली’ में अपने को प्रकट करते हैं। जाति-पाति के बन्धन से मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का आह्वान भी ‘कवितावली’ में है। ‘कवितावली’ के भीतर उनकी उन मान्यताओं की भी प्रभा है, जिनके कारण उन्हें लोग समवन्यवादी मानते हैं। लोक में प्रचलित और प्रिय कवित्त, सवैया और छप्पय की पद्धति अपनाकर तुलसी ने राम के विभिन्न रूपों की राममय रचना की है। उनके आदर्श राम थे और उनका सम्पूर्ण कृतित्व राममय था। उन्होंने मुक्तक मणि के रूप में इसे प्रचारित किया। ‘कवितावली’ में रामचरित के स्फुट मुक्तक संगृहीत हैं। इनका संयोजन और सम्पादन तुलसी के समय में ही हो चुका था। बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक के रामचरितमानस के अनुरूप सातों कांड कवितावली में भी हैं। इन चार सौ पचीस पदों की विशेषता और रामचरितमानस से इनकी विभिन्नता यही है कि ये सभी मूलक छन्द हैं। कवितावली में ‘हनुमान बाहुक’ स्वतंत्र रूट-रचना है। तुलसी के जीवन से सम्बद्ध अनेक रचनाएँ भी कवितावली में हैं। उन्होंने हनुमान की अपनी आराधना को भी इस रचना में स्थान दिया है।तुलसी के सम्पूर्ण जीवन-काल की स्फुट रचनाओं को सुधाकर पाण्डेय जी ने इस ग्रन्थ में संगृहीत किया है। छात्रों की सुविधा के लिए शब्दार्थ, भावार्थ और पदों की विशिष्टता और विशेषता को भी उन्होंने इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है। इससे यह ग्रन्थ छात्रों के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी बन गया है।
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