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Kashmir Ka Bhavishya

Rajkishor

Rs. 125

कश्मीर का भविष्य - भारत में कश्मीर पर कोई भी राजनीतिक किताब लिखना या सम्पादित करना जोख़िम से भरा काम है। पंजाब समस्या पर, झारखंड की माँग पर और यहाँ तक कि उत्तर-पूर्व भारत में विद्रोह की स्थिति पर किताब तैयार की जा सकती है। कोई आपको राष्ट्रद्रोही नहीं कहेगा।... Read More

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कश्मीर का भविष्य - भारत में कश्मीर पर कोई भी राजनीतिक किताब लिखना या सम्पादित करना जोख़िम से भरा काम है। पंजाब समस्या पर, झारखंड की माँग पर और यहाँ तक कि उत्तर-पूर्व भारत में विद्रोह की स्थिति पर किताब तैयार की जा सकती है। कोई आपको राष्ट्रद्रोही नहीं कहेगा। लेकिन कश्मीर पर वस्तुपरक ढंग से कुछ भी लिखने से यह विशेषण बहुत आसानी से आमन्त्रित किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में कश्मीर पर अभी तक जो भी पुस्तकें लिखी या सम्पादित की गयी हैं, वे मुख्यतः 'राष्ट्रवादी' क़िस्म की हैं। उनमें कश्मीर के असन्तोष पर विचार ज़रूर किया गया है, किन्तु मूल प्रतिज्ञा यह है कि कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहेगा- इसकी क़ीमत जो भी हो। ऐसी किताबें विरल हैं, जो कश्मीर की समस्या को कश्मीरियों की निगाह से भी देखती हों। ऐसी अच्छी किताब शायद कोई कश्मीरी ही लिख सकता है। लेकिन कश्मीरी को इस समय कलम नहीं, बन्दूक़ ज़्यादा आकर्षित कर रही है। अभी हाल तक कश्मीर का पक्ष देख पाना इसलिए भी कठिन था, क्योंकि कश्मीर की आज़ादी की माँग बहुत बुलन्द नहीं थी। अब यह आवाज़ कश्मीर की घाटी में ही नहीं, दूर-दूर तक सुनी जा सकती है। स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन आ चुका है। अतः नये विचारों की ज़रूरत है। यह पुस्तक इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है। कश्मीर भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण कसौटी है, अतः इसके आईने में हम भारत के राजनीतिक चरित्र की भी वस्तुपरक जाँच कर सकते हैं।
Description
कश्मीर का भविष्य - भारत में कश्मीर पर कोई भी राजनीतिक किताब लिखना या सम्पादित करना जोख़िम से भरा काम है। पंजाब समस्या पर, झारखंड की माँग पर और यहाँ तक कि उत्तर-पूर्व भारत में विद्रोह की स्थिति पर किताब तैयार की जा सकती है। कोई आपको राष्ट्रद्रोही नहीं कहेगा। लेकिन कश्मीर पर वस्तुपरक ढंग से कुछ भी लिखने से यह विशेषण बहुत आसानी से आमन्त्रित किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में कश्मीर पर अभी तक जो भी पुस्तकें लिखी या सम्पादित की गयी हैं, वे मुख्यतः 'राष्ट्रवादी' क़िस्म की हैं। उनमें कश्मीर के असन्तोष पर विचार ज़रूर किया गया है, किन्तु मूल प्रतिज्ञा यह है कि कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहेगा- इसकी क़ीमत जो भी हो। ऐसी किताबें विरल हैं, जो कश्मीर की समस्या को कश्मीरियों की निगाह से भी देखती हों। ऐसी अच्छी किताब शायद कोई कश्मीरी ही लिख सकता है। लेकिन कश्मीरी को इस समय कलम नहीं, बन्दूक़ ज़्यादा आकर्षित कर रही है। अभी हाल तक कश्मीर का पक्ष देख पाना इसलिए भी कठिन था, क्योंकि कश्मीर की आज़ादी की माँग बहुत बुलन्द नहीं थी। अब यह आवाज़ कश्मीर की घाटी में ही नहीं, दूर-दूर तक सुनी जा सकती है। स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन आ चुका है। अतः नये विचारों की ज़रूरत है। यह पुस्तक इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है। कश्मीर भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण कसौटी है, अतः इसके आईने में हम भारत के राजनीतिक चरित्र की भी वस्तुपरक जाँच कर सकते हैं।

Additional Information
Book Type

Paperback, Hardbound

Publisher Vani Prakashan
Language Hindi
ISBN 978-9352292080
Pages 164
Publishing Year 2014

Kashmir Ka Bhavishya

कश्मीर का भविष्य - भारत में कश्मीर पर कोई भी राजनीतिक किताब लिखना या सम्पादित करना जोख़िम से भरा काम है। पंजाब समस्या पर, झारखंड की माँग पर और यहाँ तक कि उत्तर-पूर्व भारत में विद्रोह की स्थिति पर किताब तैयार की जा सकती है। कोई आपको राष्ट्रद्रोही नहीं कहेगा। लेकिन कश्मीर पर वस्तुपरक ढंग से कुछ भी लिखने से यह विशेषण बहुत आसानी से आमन्त्रित किया जा सकता है। यही कारण है कि भारत में कश्मीर पर अभी तक जो भी पुस्तकें लिखी या सम्पादित की गयी हैं, वे मुख्यतः 'राष्ट्रवादी' क़िस्म की हैं। उनमें कश्मीर के असन्तोष पर विचार ज़रूर किया गया है, किन्तु मूल प्रतिज्ञा यह है कि कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहेगा- इसकी क़ीमत जो भी हो। ऐसी किताबें विरल हैं, जो कश्मीर की समस्या को कश्मीरियों की निगाह से भी देखती हों। ऐसी अच्छी किताब शायद कोई कश्मीरी ही लिख सकता है। लेकिन कश्मीरी को इस समय कलम नहीं, बन्दूक़ ज़्यादा आकर्षित कर रही है। अभी हाल तक कश्मीर का पक्ष देख पाना इसलिए भी कठिन था, क्योंकि कश्मीर की आज़ादी की माँग बहुत बुलन्द नहीं थी। अब यह आवाज़ कश्मीर की घाटी में ही नहीं, दूर-दूर तक सुनी जा सकती है। स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन आ चुका है। अतः नये विचारों की ज़रूरत है। यह पुस्तक इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है। कश्मीर भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण कसौटी है, अतः इसके आईने में हम भारत के राजनीतिक चरित्र की भी वस्तुपरक जाँच कर सकते हैं।