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Kalash

Harivansh

Rs. 499 – Rs. 695

कलश - भारत के परम वैभव को जानना और समझना है, तो उसके अध्यात्म की ऊर्जा जानना ज़रूरी है। यह उसी की विराट शक्ति है कि हमारा मूलमन्त्र सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के साकार रूप को चरितार्थ करता है। हमने मिट्टी के कण, वायु के झोंके, जल की बूँद, अग्नि के... Read More

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कलश - भारत के परम वैभव को जानना और समझना है, तो उसके अध्यात्म की ऊर्जा जानना ज़रूरी है। यह उसी की विराट शक्ति है कि हमारा मूलमन्त्र सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के साकार रूप को चरितार्थ करता है। हमने मिट्टी के कण, वायु के झोंके, जल की बूँद, अग्नि के ताप और आकाश के हर अंश को परमात्मा माना है। इन्हीं पंचतत्त्वों के मेल से हमारा शरीर बना है। अतः हमारे रग-रग में ईश्वर का वास है। - इसी पुस्तक का एक अंश " इस पुस्तक के आलेख तथा इंटरव्यू प्रबल आध्यात्मिक जिज्ञासा और आत्म प्रचार की दुनिया से इतर रहने वाले तपस्वियों से मुलाक़ात की निधि हैं। जीवन मर्म समझने की चाहत है। यह ब्रह्माण्ड, सृष्टि, जीव और जगत अनायास हैं या नियोजित (सुचिन्तित) ? इस रचना में विलक्षण साधकों की संसार दृष्टि व भक्ति है। हरिवंश के इन आलेखों में अनोखे तपस्वियों से चर्चा की सात्विक आभा व मर्म, मन, मस्तिष्क और दिल को छूते हैं।”
Description
कलश - भारत के परम वैभव को जानना और समझना है, तो उसके अध्यात्म की ऊर्जा जानना ज़रूरी है। यह उसी की विराट शक्ति है कि हमारा मूलमन्त्र सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के साकार रूप को चरितार्थ करता है। हमने मिट्टी के कण, वायु के झोंके, जल की बूँद, अग्नि के ताप और आकाश के हर अंश को परमात्मा माना है। इन्हीं पंचतत्त्वों के मेल से हमारा शरीर बना है। अतः हमारे रग-रग में ईश्वर का वास है। - इसी पुस्तक का एक अंश " इस पुस्तक के आलेख तथा इंटरव्यू प्रबल आध्यात्मिक जिज्ञासा और आत्म प्रचार की दुनिया से इतर रहने वाले तपस्वियों से मुलाक़ात की निधि हैं। जीवन मर्म समझने की चाहत है। यह ब्रह्माण्ड, सृष्टि, जीव और जगत अनायास हैं या नियोजित (सुचिन्तित) ? इस रचना में विलक्षण साधकों की संसार दृष्टि व भक्ति है। हरिवंश के इन आलेखों में अनोखे तपस्वियों से चर्चा की सात्विक आभा व मर्म, मन, मस्तिष्क और दिल को छूते हैं।”

Additional Information
Book Type

Paperback, Hardbound

Publisher Vani Prakashan
Language Hindi
ISBN 978-9355185945
Pages 304
Publishing Year 2022

Kalash

कलश - भारत के परम वैभव को जानना और समझना है, तो उसके अध्यात्म की ऊर्जा जानना ज़रूरी है। यह उसी की विराट शक्ति है कि हमारा मूलमन्त्र सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के साकार रूप को चरितार्थ करता है। हमने मिट्टी के कण, वायु के झोंके, जल की बूँद, अग्नि के ताप और आकाश के हर अंश को परमात्मा माना है। इन्हीं पंचतत्त्वों के मेल से हमारा शरीर बना है। अतः हमारे रग-रग में ईश्वर का वास है। - इसी पुस्तक का एक अंश " इस पुस्तक के आलेख तथा इंटरव्यू प्रबल आध्यात्मिक जिज्ञासा और आत्म प्रचार की दुनिया से इतर रहने वाले तपस्वियों से मुलाक़ात की निधि हैं। जीवन मर्म समझने की चाहत है। यह ब्रह्माण्ड, सृष्टि, जीव और जगत अनायास हैं या नियोजित (सुचिन्तित) ? इस रचना में विलक्षण साधकों की संसार दृष्टि व भक्ति है। हरिवंश के इन आलेखों में अनोखे तपस्वियों से चर्चा की सात्विक आभा व मर्म, मन, मस्तिष्क और दिल को छूते हैं।”