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Kailash Mansarovar Yatra

Rs. 200 – Rs. 350

Travelogue 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के माध्यम से हरिओम 'यात्रा-आख्यान' विधा में बहुत कुछ तोड़ते और जोड़ते हैं। अरुण प्रकाश ने 'गद्य की पहचान' में लिखा है कि 'यात्री के पास गंतव्य का मानचित्र ही नहीं होना चाहिए, स्वस्थ दृष्टिकोण भी होना चाहिए।' हरिओम के पास वह स्वस्थ और साकांक्ष दृष्टिकोण... Read More

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Travelogue 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के माध्यम से हरिओम 'यात्रा-आख्यान' विधा में बहुत कुछ तोड़ते और जोड़ते हैं। अरुण प्रकाश ने 'गद्य की पहचान' में लिखा है कि 'यात्री के पास गंतव्य का मानचित्र ही नहीं होना चाहिए, स्वस्थ दृष्टिकोण भी होना चाहिए।' हरिओम के पास वह स्वस्थ और साकांक्ष दृष्टिकोण है जिससे वह 'तीर्थयात्रा' को भी एक रम्य-आख्यान में बदल देते हैं। हरिओम इस यात्रा में धर्म, अध्यात्म आदि पर न सिर्फ तार्किक दृष्टि से विचार करते हैं बल्कि समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी करते चलते हैं। उनके भीतर यह चिंता भी कायम है कि कैसे धर्म के 'धुंध और पीलेपन ने हमारे देश के सुंदर परिवेश का रंग चुरा लिया है।' यहाँ विकास और पर्यावरण के बीच के असंतुलन को भी बहुत शिद्दत के साथ रेखांकित किया गया है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है जो अब चीन के अधीन है। यात्रा में नेपाल की विपन्नता के सामने चीन की सम्पन्नता दिखती है। 'सेहत और सफाई का सवाल श्रद्धा और आस्था' के नीचे दब जाता है। इस यात्रा-आख्यान में रोमांच और रोचकता के साथ ही अद्भुत किस्सागोई है। नि:संदेह धार्मिक-आध्यात्मिक पक्ष के साथ ही भारत, नेपाल, तिब्बत और चीन के भूगोल, समाज, पर्यावरण, कूटनीति, विकास और सांस्कृतिक-राजनीतिक संबंधों को समझने में भी यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी। —श्रीधरम
Description
Travelogue 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के माध्यम से हरिओम 'यात्रा-आख्यान' विधा में बहुत कुछ तोड़ते और जोड़ते हैं। अरुण प्रकाश ने 'गद्य की पहचान' में लिखा है कि 'यात्री के पास गंतव्य का मानचित्र ही नहीं होना चाहिए, स्वस्थ दृष्टिकोण भी होना चाहिए।' हरिओम के पास वह स्वस्थ और साकांक्ष दृष्टिकोण है जिससे वह 'तीर्थयात्रा' को भी एक रम्य-आख्यान में बदल देते हैं। हरिओम इस यात्रा में धर्म, अध्यात्म आदि पर न सिर्फ तार्किक दृष्टि से विचार करते हैं बल्कि समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी करते चलते हैं। उनके भीतर यह चिंता भी कायम है कि कैसे धर्म के 'धुंध और पीलेपन ने हमारे देश के सुंदर परिवेश का रंग चुरा लिया है।' यहाँ विकास और पर्यावरण के बीच के असंतुलन को भी बहुत शिद्दत के साथ रेखांकित किया गया है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है जो अब चीन के अधीन है। यात्रा में नेपाल की विपन्नता के सामने चीन की सम्पन्नता दिखती है। 'सेहत और सफाई का सवाल श्रद्धा और आस्था' के नीचे दब जाता है। इस यात्रा-आख्यान में रोमांच और रोचकता के साथ ही अद्भुत किस्सागोई है। नि:संदेह धार्मिक-आध्यात्मिक पक्ष के साथ ही भारत, नेपाल, तिब्बत और चीन के भूगोल, समाज, पर्यावरण, कूटनीति, विकास और सांस्कृतिक-राजनीतिक संबंधों को समझने में भी यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी। —श्रीधरम

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Hardbound, Paperbacks

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Kailash Mansarovar Yatra

Travelogue 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' के माध्यम से हरिओम 'यात्रा-आख्यान' विधा में बहुत कुछ तोड़ते और जोड़ते हैं। अरुण प्रकाश ने 'गद्य की पहचान' में लिखा है कि 'यात्री के पास गंतव्य का मानचित्र ही नहीं होना चाहिए, स्वस्थ दृष्टिकोण भी होना चाहिए।' हरिओम के पास वह स्वस्थ और साकांक्ष दृष्टिकोण है जिससे वह 'तीर्थयात्रा' को भी एक रम्य-आख्यान में बदल देते हैं। हरिओम इस यात्रा में धर्म, अध्यात्म आदि पर न सिर्फ तार्किक दृष्टि से विचार करते हैं बल्कि समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी करते चलते हैं। उनके भीतर यह चिंता भी कायम है कि कैसे धर्म के 'धुंध और पीलेपन ने हमारे देश के सुंदर परिवेश का रंग चुरा लिया है।' यहाँ विकास और पर्यावरण के बीच के असंतुलन को भी बहुत शिद्दत के साथ रेखांकित किया गया है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है जो अब चीन के अधीन है। यात्रा में नेपाल की विपन्नता के सामने चीन की सम्पन्नता दिखती है। 'सेहत और सफाई का सवाल श्रद्धा और आस्था' के नीचे दब जाता है। इस यात्रा-आख्यान में रोमांच और रोचकता के साथ ही अद्भुत किस्सागोई है। नि:संदेह धार्मिक-आध्यात्मिक पक्ष के साथ ही भारत, नेपाल, तिब्बत और चीन के भूगोल, समाज, पर्यावरण, कूटनीति, विकास और सांस्कृतिक-राजनीतिक संबंधों को समझने में भी यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी। —श्रीधरम