BackBack

Kaale Adhyay

Manoj Rupda

Rs. 180 – Rs. 260

काले अध्याय -मनोज रूपड़ा समकालीन कहानी के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उनमें कहानी कहने की अपूर्व क्षमता है। 'काले अध्याय' में उनके जीवन के संस्मरण हैं, जिसे उन्होंने बचपन से लेकर हमउम्र की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीकी से सहेजा है। कहानी से इतर जो वे कह नहीं पाये हैं, उसकी यहाँ... Read More

HardboundHardbound
PaperbackPaperback
Rs. 260
Reviews

Customer Reviews

Based on 1 review
100%
(1)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
M
Mahima Tagore

Book is very well written, it's heartwrenching and closer to truth.

readsample_tab
काले अध्याय -मनोज रूपड़ा समकालीन कहानी के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उनमें कहानी कहने की अपूर्व क्षमता है। 'काले अध्याय' में उनके जीवन के संस्मरण हैं, जिसे उन्होंने बचपन से लेकर हमउम्र की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीकी से सहेजा है। कहानी से इतर जो वे कह नहीं पाये हैं, उसकी यहाँ जीवन्त और सशक्त अभिव्यक्ति है। मगर यहाँ भी कथा का ही विस्तार है, जहाँ उनकी चेतना अपने तईं भीतर-बाहर से जुड़कर एक अनूठा कथा-संसार रचती है।मनोज रूपड़ा बेचैन कथाकार हैं और यह बेचैनी यहाँ भी देखी जा सकती है। उनके कथा-सूत्र सामान्य जीवन के हैं मगर इतने सघन और गहरे हैं कि उन पर एक बड़ा कैनवास बुनते हैं और जीवन-विस्तार में ठहरे हुए पलों को एक बेहतरीन लिबास देते हैं।'काले अध्याय' उज्ज्वलतर जीवन का उघड़ा हुआ सच है, जो पाठक के भीतर सर्जनात्मकता की लहर सी पैदा करता है। नि:सन्देह यह एक पठ्नीय कृति बन पड़ी है, जहाँ इकहरे जीवन से मुक्ति का सीधा सरल रास्ता अख़्तियार नहीं करती।
Description
काले अध्याय -मनोज रूपड़ा समकालीन कहानी के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उनमें कहानी कहने की अपूर्व क्षमता है। 'काले अध्याय' में उनके जीवन के संस्मरण हैं, जिसे उन्होंने बचपन से लेकर हमउम्र की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीकी से सहेजा है। कहानी से इतर जो वे कह नहीं पाये हैं, उसकी यहाँ जीवन्त और सशक्त अभिव्यक्ति है। मगर यहाँ भी कथा का ही विस्तार है, जहाँ उनकी चेतना अपने तईं भीतर-बाहर से जुड़कर एक अनूठा कथा-संसार रचती है।मनोज रूपड़ा बेचैन कथाकार हैं और यह बेचैनी यहाँ भी देखी जा सकती है। उनके कथा-सूत्र सामान्य जीवन के हैं मगर इतने सघन और गहरे हैं कि उन पर एक बड़ा कैनवास बुनते हैं और जीवन-विस्तार में ठहरे हुए पलों को एक बेहतरीन लिबास देते हैं।'काले अध्याय' उज्ज्वलतर जीवन का उघड़ा हुआ सच है, जो पाठक के भीतर सर्जनात्मकता की लहर सी पैदा करता है। नि:सन्देह यह एक पठ्नीय कृति बन पड़ी है, जहाँ इकहरे जीवन से मुक्ति का सीधा सरल रास्ता अख़्तियार नहीं करती।

Additional Information
Book Type

Hardbound, Paperback

Publisher Jnanpith Vani Prakashan LLP
Language Hindi
ISBN 978-9326353045
Pages 180
Publishing Year 2018

Kaale Adhyay

काले अध्याय -मनोज रूपड़ा समकालीन कहानी के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उनमें कहानी कहने की अपूर्व क्षमता है। 'काले अध्याय' में उनके जीवन के संस्मरण हैं, जिसे उन्होंने बचपन से लेकर हमउम्र की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीकी से सहेजा है। कहानी से इतर जो वे कह नहीं पाये हैं, उसकी यहाँ जीवन्त और सशक्त अभिव्यक्ति है। मगर यहाँ भी कथा का ही विस्तार है, जहाँ उनकी चेतना अपने तईं भीतर-बाहर से जुड़कर एक अनूठा कथा-संसार रचती है।मनोज रूपड़ा बेचैन कथाकार हैं और यह बेचैनी यहाँ भी देखी जा सकती है। उनके कथा-सूत्र सामान्य जीवन के हैं मगर इतने सघन और गहरे हैं कि उन पर एक बड़ा कैनवास बुनते हैं और जीवन-विस्तार में ठहरे हुए पलों को एक बेहतरीन लिबास देते हैं।'काले अध्याय' उज्ज्वलतर जीवन का उघड़ा हुआ सच है, जो पाठक के भीतर सर्जनात्मकता की लहर सी पैदा करता है। नि:सन्देह यह एक पठ्नीय कृति बन पड़ी है, जहाँ इकहरे जीवन से मुक्ति का सीधा सरल रास्ता अख़्तियार नहीं करती।