Look Inside
Jivan ho tum
Jivan ho tum

Jivan ho tum

Regular price ₹ 104
Sale price ₹ 104 Regular price ₹ 117
Unit price
Save 11%
11% off
Tax included.
Size guide

Pay On Delivery Available

Rekhta Certified

7 Day Easy Return Policy

Jivan ho tum

Jivan ho tum

Cash-On-Delivery

Cash On Delivery available

Plus (F-Assured)

7-Days-Replacement

7 Day Replacement

Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
Read Sample
Product description

About Book

एक ऐसे कठिन समय में जब चारों तरफ सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर उथल-पुथल मची हुई हो, जब आम आदमी के हित को बहुत पीछे छोड़ सत्ता और तन्त्र के पक्ष में एक खास तरह की मानसिकता तैयार की जा रही हो, जब आम आदमी की जिंदगी को चन्द अस्मिताओं में सिमटा कर उसे वोट बैंक में तब्दील किया जा रहा हो, प्रेम को या तो हिंसा का सबसे बड़ा हथियार बनाया जा रहा हो या इस बाजारवादी संस्कृति में जिसके महत्त्व का अवमूल्यन किया जा रहा हो, तब प्रेम के लिए इस सबसे भयावह समय में निशान्त का प्रेम कविताओं का यह संग्रह कोमल पत्तों पर ओस के फाहे जैसा है। यह संग्रह जहाँ एक तरफ हमें सुकून देता है, वहीं दूसरी तरफ अपने स्वरूप में प्रतिरोध का एक नया अध्याय भी रचता है।

निशान्त की कविताएँ अपने समय का अन्तर्पाठ हैं। वे कविताओं में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन को बहुत ही बारीकी से पकड़ने वाले कवि हैं। उनकी कविताओं को जब समग्रता में पढ़ा जाए और उसी क्रम में इन कविताओं को रखा जाए, तब यह स्पष्ट होता है कि प्रेम कविताओं का यह संग्रह भी अपने समय से जुड़कर और जूझकर रचित हुआ है। दुनिया के सारे दुखों पर/ मरहम लगाता है एक वाक्य /'मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।

राजनीतिक विद्रूपताओं के बीच यह संग्रह प्रेम का आख्यान है। इन प्रेम कविताओं को निरी प्रेम कविताएँ न मानकर इन्हें विद्रूप स्थितियों के बीच प्रेम को बचाने की एक कवि की कोशिश के रूप में देखा जाना चाहिए। एकदम 'इलिस माछ' की तरह, जो पानी से एक सेकेण्ड के लिए बिछड़ते ही प्राण त्याग देती है। और साथ ही इनमें एक खास तरह का उद्दाम आवेग है-'पागल और बच्चों की तरह का।' यहाँ कोई दाँवपेच नहीं है, कोई चालाकी नहीं, कोई स्वार्थ नहीं और बाजार का कोई षड्यन्त्र भी नहीं।

यहाँ प्रेमियों की कोई अस्मिता नहीं है, वे सिर्फ प्रेमी हैं। धर्म, जाति, भाषा, प्रदेश, वर्ग सभी विभेदों से ऊपर उठकर यहाँ सिर्फ प्रेम है जो अपने स्वरूप में इस क्रूर सत्ता के क्रूर चरित्र के बरक्स प्रतिरोध के आख्यान का रूप ले लेता है। इसलिए यह प्रेम अपने समय का प्रतिआख्यान तैयार करता है। भक्ति आन्दोलन में जिस वैकल्पिक दुनिया का ख्वाब कवियों ने देखा था निशान्त ने अपनी कविताओं में उसी वैकल्पिक दुनिया का इस क्रूरतम दुनिया में ख्वाब बुना है। यह एक कवि का ख्वाब है जिसकी जड़ें जनमानस के भीतर गहरी धंसी हुई हैं। निशान्त की भाषा इन कविताओं में इतनी कोमल है कि कठोर हृदयवाला भी गलने लगता है। चूँकि वे बंगाल में रहते हैं इसलिए बांग्ला भाषा की जो हल्की-सी छुअन यहाँ है, वह इन कविताओं को थोड़ा और खूबसूरत, थोड़ा और सुन्दर बना देती है।

About Author

संजय कुंदन

जन्म : 7 दिसम्बर, 1969, पटना

शिक्षा : पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एम.ए.

सम्प्रति : दैनिक 'नवभारत टाइम्स', दिल्ली में सहायक सम्पादक।

प्रकाशित कृतियाँ : कागज के प्रदेश में, चुप्पी का शोर, योजनाओं का शहर, तनी हुई रस्सी पर (कविता संग्रह), बॉस की पार्टी, श्यामलाल का अकेलापन (कहानी संग्रह), टूटने के बाद, तीन ताल (उपन्यास), पत्रों में सेजाँ (अनुवाद)।

पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, हेमन्त स्मृति सम्मान और विद्यापति पुरस्कार। रचनाएँ अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी और उर्दू में अनूदित। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।

Shipping & Return
  • Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
  • Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
  • Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
  • Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.

Offers & Coupons

Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.


Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.


You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.

Read Sample

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)

Related Products

Recently Viewed Products