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Jism Ka Bartan Sard Pada Hai

Amir Hamza Saqib

Rs. 199 Rs. 159

About Book प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर अमीर हम्ज़ा साक़िब का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|   About Author अमीर हमज़ा साक़िब, 1971 में मुंबई में पैदा हुए। आबाई वतन... Read More

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Description

About Book

प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर अमीर हम्ज़ा साक़िब का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|

 

About Author

अमीर हमज़ा साक़िब, 1971 में मुंबई में पैदा हुए। आबाई वतन आ’ज़मगढ़ है। फ़िलहाल भीवन्डी में रहते हैं। जहाँ जी ऐम मोमिन वीमेन्ज़ कॉलेज के उर्दू विभाग में अस्सिटैंट प्रोफ़ैसर हैं। एक काव्य-संग्रह ‘मौसम-ए-कश्फ़’ 2014 में प्रकाशति हो चुका है।

     

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    Jism Ka Bartan Sard Pada Hai

    About Book

    प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता हर्फ़-ए-ताज़ा’ सिलसिले के तहत प्रकाशित उर्दू शाइर अमीर हम्ज़ा साक़िब का ताज़ा काव्य-संग्रह है| यह किताब देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और पाठकों के बीच ख़ूब पसंद की गई है|

     

    About Author

    अमीर हमज़ा साक़िब, 1971 में मुंबई में पैदा हुए। आबाई वतन आ’ज़मगढ़ है। फ़िलहाल भीवन्डी में रहते हैं। जहाँ जी ऐम मोमिन वीमेन्ज़ कॉलेज के उर्दू विभाग में अस्सिटैंट प्रोफ़ैसर हैं। एक काव्य-संग्रह ‘मौसम-ए-कश्फ़’ 2014 में प्रकाशति हो चुका है।