Jharkhand ke Adivasi : Pahchan kaSankat
Author | Anuj Kumar Sinha |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9353225476 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.323 kg |
Edition | 1 |
Jharkhand ke Adivasi : Pahchan kaSankat
यह सच है कि आज के युवा अपनी भाषा-संस्कृति के बारे मेंगहरी समझ नहीं रखते हैं। दुनिया की चकाचौंध में वे खोते जा रहे हैं। अपने पर्व-त्योहार और अपनी भाषा के बारे में वे अधिक जानते नहीं हैं। इस पुस्तक में कई ऐसे लेख हैं, जो झारखंड की भाषा-संस्कृति से जुड़े हैं। इसमें सोहराय, सरहुल और अन्य त्योहारों की महत्ता बताने का प्रयास किया गया है। प्रभाकर तिर्की ने एक लेख और आँकड़ों के माध्यम से यह बताना चाहा है कि कैसे झारखंड में आदिवासी कम होते जा रहे हैं। महादेव टोप्पो ने आदिवासी साहित्य, दशा और दिशा के जरिए आदिवासी भाषाओं को समृद्ध करने का रास्ता बताया है। एक दुर्लभ लेख 'आदिवासियत और मैं' है, जिसे मरांग गोमके जयपाल सिंह ने लिखा है। इसके अलावा पुष्पा टेटे, रोज केरकट्टा, हरिराम मीणा, जेवियर डायस, पी.एन.एस. सुरीन आदि के लेख हैं, जिनमें दुर्लभ जानकारियाँ हैं, जो आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं। ऐसे लेखों को संकलित कर पुस्तक का आकार देने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि ये लेख आगाह करनेवाले हैं, हमें जगानेवाले हैं। ये महत्त्वपूर्ण लेख हैं, जिनका उपयोग शोधछात्र कर सकते हैं, नीतियाँ बनाने में सरकार कर सकती है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ये युवाओं को अपनी भाषा-संस्कृति को समृद्ध बनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमअपनी बात —Pgs.51. इतिहास ने भी आदिवासियों को छला है —हेरॉल्ड एस. तोपनो —Pgs.132. जरूरत एक और उलगुलान की —सी.आर. माँझी —Pgs.213. आदिवासियों को मिटाने की साजिश —दिगंबर हाँसदा —Pgs.284. क्यों कम होती जा रही है आदिवासियों की आबादी? —सी.आर. माँझी —Pgs.365. झारखंड में आदिवासियों की कब होगी कायापलट? —सी.आर. माँझी —Pgs.436. अस्मिता की तलाश में आदिवासी —प्रो. दिगंबर हाँसदा —Pgs.517. आदिवासियों के सांस्कृतिक अस्तित्व पर खतरा —सी.आर. माँझी —Pgs.568. संथालों की बाहा पूजा —सी.आर. माँझी —Pgs.599. संथालियों का महान् व लोकप्रिय पर्व सोहराय —प्रो. दिगंबर हाँसदा —Pgs.6310. क्षय होती आदिवासी संस्कृति —हेरॉल्ड एस. तोपनो —Pgs.7111. झारखंडी आदिवासी युद्ध-पथ पर क्यों? —स्टेन स्वामी —Pgs.7512. आदिवासी महिलाओं का संघर्ष —वासवी —Pgs.7813. प्रकृति की प्रेरणा से ही सदा आनंदमय रहते हैं आदिवासी —प्रो. दिगंबर हाँसदा —Pgs.8214. यही हाल रहा तो झारखंड के आदिवासी लुप्तप्राय हो जाएँगे —प्रभाकर तिर्की —Pgs.8715. संथाली साहित्य का इतिहास —प्रो. दिगंबर हाँसदा —Pgs.9416. वाराङक्षिति लिपि के अन्वेषक डॉ. लाको बोदरा —काशराय कुदाद 'मुरूकु' —Pgs.10117. आदिवासी साहित्य : चुनौतियाँ, दशा व दिशा —महादेव टोप्पो —Pgs.11018. भारतीय मिथक, इतिहास और आदिवासी —हरिराम मीण —Pgs.11719. आदिवासी हक की लड़ाई जारी है —एडेमटा —Pgs.12120. आदिवासियत और मैं —जयपाल सिंह —Pgs.12521. कहाँ खड़े हैं आदिवासी —अनुज कुमार सिन्हा —Pgs.13122. असमानता से मुकाबला; अनुसूचित जनजाति और आरक्षण व्यवस्था —स्टुअर्ट काॅरब्रिज —Pgs.13423. दलाल 'दिकू संस्कृति' झारखंडी एकता में बाधक —वंदना टेटे —Pgs.15024. आदिवासी महिला के अधिकार और समाज का दायित्व —रोज केरकेट्टा —Pgs.15525. जंगल के बिना आदिवासी को सुकून नहीं —वासवी —Pgs.16326. पाँचवीं अनुसूची, राज्यपाल, राज्य सरकार और अादिवासी —पी.एन.एस. सुरीन —Pgs.16827. आदिवासी चेतना और सांप्रदायिकता के महासंग्राम का दौर —प्रो. वीर भारत तलवार —Pgs.17828. सांस्कृतिक अवधारणा में आदिवासी कहाँ हैं? —हेरॉल्ड एस. तोपनो —Pgs.18229. मजदूर, पर्यावरण और खदान... पूर्वग्रहों से आगे —जेवियर डायस —Pgs.18630. किसानी को तरजीह दें —सुनील मिंज —Pgs.19231. विकास के बुलडोजर ने झारखंडी अस्मिता व विरासत को कुचल डाला —जेरोम जेराल्ड कुजूर/ प्रवीण कुमार —Pgs.19532. झारखंड नवनिर्माण : आदिवासी नजरिया —प्रभाकर तिर्की —Pgs.20233. मूल से कटे पौधों का पेड़ बनना —महादेव टोप्पो —Pgs.20634. झारखंडी संस्कृति व अस्मिता : गहन अंधकार के रोशनदान —डॉ. कुमार सुरेश सिंह —Pgs.21135. आदिवासियों के विकास में ही झारखंड का विकास —डॉ. प्रकाश लुईस —Pgs.218
- Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
- Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
- Sukoon– Easy returns and replacements within 7 days.
- Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
Use code FIRSTORDER to get 10% off your first order.
Use code REKHTA10 to get a discount of 10% on your next Order.
You can also Earn up to 20% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.