Jammu-Kashmir Ka Vishmrit Adhyaya
Author | Dr. Kuldeep Chand Agnihotri |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9352669028 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.268 kg |
Edition | Ist |
Jammu-Kashmir Ka Vishmrit Adhyaya
जम्मू-कश्मीर में पिछले सात दशकों से जो राजनैतिक संघर्ष हुए, उनमें सबसे बड़ा संघर्ष राज्य को संघीय सांविधानिक व्यवस्था का हिस्सा बनाए रखने को लेकर ही था। विदेशी ताकतों की सहायता व रणनीति से कश्मीर घाटी का एक छोटा समूह इस व्यवस्था से अलग होने के लिए हिंसक आंदोलन चलाता रहा है। उसका सामना करनेवालों में लद्दाख के कुशोक बकुला रिंपोछे का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। ये रिंपोछे ही थे, जिन्होंने 1947-48 में ही स्पष्ट कर दिया था कि तथाकथित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के वेश में जनमत संग्रह के परिणाम जो भी हों, लद्दाख उससे बँधा नहीं रहेगा। वह हर हालत में भारत का अविभाज्य अंग रहेगा। इसकी जरूरत शायद इसलिए पड़ी थी, क्योंकि भारत में ही प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहना शुरू कर दिया था कि राज्य का भविष्य जनमत संग्रह पर टिका है। ऐसे समय में नेहरू व शेख अब्दुल्ला के साथ रहते हुए भी देश की अखंडता के मामले में बकुला रिंपोछे चट्टान की तरह अडिग रहे। हिंदी में कुशोक बकुल��� रिंपोछे पर यह पहली पुस्तक है। निश्चय ही इससे जम्मू-कश्मीर को उसकी समग्रता में समझने के इच्छुक समाजशास्त्रियों को सहायता मिलेगी।
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