Jaipurnama
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | 978-9355188724 |
Author | Namita Gokhale Translated by Pushpesh Pant & Prabhat Ranjan |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 240 |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1st |
Jaipurnama
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दुनिया के सबसे बड़े लिटरेरी फ़ेस्टिवल की संस्थापकों और निदेशकों में एक नमिता गोखले ने एक ऐसा उपन्यास लिखा है जो बहुत प्रभावशाली है और जो दुनिया के सबसे एकाकी समूह यानी लेखकों की प्रेरणाओं और निराशाओं को लेकर है। इसमें मुलाक़ात होती है ऐसे रंगारंग किरदारों से जिनकी ज़िन्दगी की कहानियाँ जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल के समुद्र में घुलती-मिलती हैं, उनके बीच टकराती हुई चलती हैं। क्वियर साहित्य की एक बहुत बड़ी लेखिका है जिसको विद्वेष से भरी गुमनाम चिट्ठी मिलती हैं, एक चोर है जिसको कविता लिखने का जुनून है, एक प्रतिभाशाली बाल लेखक है जिसने तय कर रखा है कि एक दिन शिखर पर पहुँचना है, एक अमेरिकी लेखक है जो अपने जवानी के दिनों के विलुप्त भारत की तलाश में है। सत्तर पार की एक एकाकी लेखिका है जो जहाँ जाती है कैनवस बैग में अपने अप्रकाशित उपन्यास की प्रति लेकर जाती है-जयपुरनामा के पन्नों पर सबकी जीवन्त कहानी है। फ़ेस्टिवल की तरह ही जयपुर में विविध प्रकार की कहानियाँ हैं जिनको अलग-अलग सिरों से कहा गया है। यह दिलचस्प, तेज़ गति वाला, बड़े फ़लक का उपन्यास है जो साहित्यिक जगत का अचूक और दिलचस्प ख़ाका प्रस्तुत करता है, जिसमें नमिता गोखले की अचूक दृष्टि तथा पठनीय शैली अपने पूरे शबाब पर है।
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