Hindi Sahitya Ka Aadhunik Itihas
| Item Weight | 143 Grams |
| ISBN | 978-9351868026 |
| Author | Tarak Nath Bali |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2017 |
| Edition | 1 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Hindi Sahitya Ka Aadhunik Itihas
हिंदी साहित्य भारतीय अस्मिता की गरिमा का वाहक है। इस व्यापक ऐतिहासिक आधार पर कोई भी हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा गया।इस इतिहास के पहले अध्याय में वैदिक-दर्शन से लेकर बौद्ध-दर्शन और जैन-दर्शन के विकास का विवरण दिया गया है। बौद्ध-दर्शन की बाद में महायान, हीनयान आदि शाखाएँ बनीं। इसी विकास में सिद्ध कवियों ने भाषा—बोलचाल की भाषा में कविता की रचना का आरंभ किया। इसी समय में नाथ कवियों ने भी भाषा में ही कविता की रचना की, जिसका विकास कबीर आदि निर्गुणीय कवियों में दिखाई देता है। इसी युग में दो अन्य महत्त्वपूर्ण धाराओं— रामभक्ति और कृष्णाभक्ति शाखा का विकास हुआ और इस प्रकार भारतीय अस्मिता की गरिमा की विविध सरणियों का चित्रण आरंभ हुआ। आधुनिक काल के आरंभ में ही दो महाकाव्यों—हरिऔध कृत 'प्रिय प्रवास' और गुप्तजी कृत 'साकेत' की रचना हुई और इस प्रकार इन प्राचीन कथाओं को आधुनिकता के संदर्भ से जोड़ा गया।रामकथा और कृष्णकथा हिंदी साहित्य के प्रमुख स्रोत हैं। स्पष्ट है कि हिंदी साहित्य में हज़ारों वर्ष पुराने दो महत्त्वपूर्ण काव्यों— वाल्मीकि रामायण और महाभारत की कथाओं को आधुनिक संदर्भ में चित्रित किया गया।_______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमहिंदी साहित्य का आधुनिक इतिहास — Pgs. 9भूमिका — Pgs. 111. पूर्व परंपरा दार्शनिक सांस्कृतिक विकास निरंतर विकसनशीलता — Pgs. 212. उपनिषदों की सामान्य विशेषताएँ — Pgs. 343. हिंदू संस्कृति — Pgs. 384. साधना के रूप — Pgs. 415. बौद्ध धर्म — Pgs. 466. भक्तिकाल का आरंभ — Pgs. 717. सामाजिक जीवन और मूल्यों का चित्रण — Pgs. 748. भक्ति काव्य — Pgs. 859. कबीर दास — Pgs. 9510. गुरु नानक — Pgs. 10411. दादूदयाल — Pgs. 10512. सूफी शाखा — Pgs. 10713. कुतबन कृत मृगावती — Pgs. 11014. पद्मावत — Pgs. 11315. राम भक्ति शाखा — Pgs. 11716. रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि — Pgs. 12117. गोस्वामी तुलसीदास — Pgs. 12418. केशवदास — Pgs. 13119. कृष्ण भक्ति शाखा — Pgs. 13620. मीराबाई — Pgs. 14621. भक्तिकाल के अन्य कवि — Pgs. 15022. निर्गुण भक्ति का स्वरूप — Pgs. 158भक्तिकाल1. भक्ति साहित्य में दलित विमर्श — Pgs. 169शृंगार काल1. कालांतरण — Pgs. 1752. कविता की सामान्य विशेषताएँ — Pgs. 1833. शृंगारकाल के प्रमुख कवि — Pgs. 1934. मतिराम — Pgs. 197भूषण, भिखारी दास (दास), रसलीन5. रीतिमुक्त स्वच्छंद कवि — Pgs. 219बिहारी लाल, वृंद कवि, आलम, घनानंद, बोध, नागरी दास, सूदन, गुरुगोविंद सिंहजीआधुनिककाल1. आधुनिक काल का वैविध्य — Pgs. 241भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग2. राष्ट्रीय सांस्कृतिक कविता — Pgs. 2473. सिया राम शरण गुप्त — Pgs. 2524. माखनलाल चतुर्वेदी — Pgs. 2525. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' — Pgs. 2536. सुभद्रा कुमारी चौहान — Pgs. 2537. प्रमुख रचनाएँ — Pgs. 254उर्मिला, पथिक तथा स्वान — Pgs. 2558. छायावादी कवि — Pgs. 256जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, प्रेम और मस्ती का काव्य, भगवतीचरण वर्मा, हरिवंशराय 'बच्चन', नरेंद्र शर्मा, अन्य कवि, ब्रजभाषा काव्य, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध', जगन्नाथदास रत्नाकर, पं. गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही', पंडित रामचंद शुक्ल, वियोगी हरि, आचार्य रामचंद्र शुक्ल की काव्य-दृष्टि : छायावाद के संदर्भ में, रामधारी सिंह 'दिनकर' की राष्ट्रीय चेतना, महादेवी वर्मा, हिंदी में सृजनात्मक लेखन-काव्य की भाषा, युगानुरूप काव्यशैली में परिवर्तन, काव्य भाषा का वैशिष्ट्य9. आधुनिक काल की सामाजिक स्थिति : आधुनिक बोध — Pgs. 33210. आधुनिक काल के आरंभिक साहित्यकार — Pgs. 335भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रताप नारायण मिश्र, पंडित बदरी नारायण चौधरी प्रेमघन11. दूसरा चरण : द्विवेदी युग — Pgs. 341पंडित मदनमोहन मालवीय, बाबू श्यामसुंदर दास, श्रीधर पाठक, मैथिलीशरण गुप्त, सत्यनारायण कविरत्न12. राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता — Pgs. 355हास्य-व्यंग्यात्मक काव्य, ब्रजभाषा-काव्य13. छायावाद का दार्शनिक आधार — Pgs. 36914. आचार्य रामचंद्र शुक्ल की काव्य-दृष्टि : आधुनिक काव्य के संदर्भ में — Pgs. 38615. 'कामायनी' की अर्थ-संरचना — Pgs. 39516. 'कामायनी' में मिथक और आधुनिक बोध — Pgs. 40317. छायावाद : ऐतिहासिक परिदृश्य — Pgs. 41118. आधुनिक हिंदी कविता : युग-विभाजन — Pgs. 41819. आधुनिकीकरण और आधुनिक हिंदी-काव्य — Pgs. 42720. छायावाद : परंपरा केंद्रित स्वच्छंदतावाद — Pgs. 43521. छायावादी काव्य में परंपरा और प्रयोग — Pgs. 43922. नई कविता — Pgs. 44723. नई कविता का आरंभ — Pgs. 46324. समकालीन बोध और आधुनिकोत्तरता — Pgs. 47025. आधुनिक काल साहित्य की अन्य विधाएँ — Pgs. 482निबंध साहित्य, आलोचना साहित्य, प्रमुख आलोचक, अन्य गद्य विधाएँ, सामाजिक परिवेश,मूल्यों की सार्थकता, जयशंकर प्रसाद, हरिकृष्ण प्रेमी,कथा साहित्य—उपन्यास, कहानी, निबंध, पत्रकारिता तथा ज���ञ���न का साहित्य26. गद्य साहित्य की अन्य विधाएँ — Pgs. 51127. उपसंहार — Pgs. 5161. हिंदी साहित्य की सांस्कृतिक अस्मिता — Pgs. 5162. प्राचीन साहित्य की आधुनिक सार्थकता — Pgs. 5173. आधुनिक साहित्य के स्रोत : रामायण और महाभारत — Pgs. 5184. ललित कलाओं का हृस — Pgs. 5205. आधुनिक मूल्यबोध — Pgs. 5206. हिंदी कविता की बुनियादी विशेषता — Pgs. 5237. प्राचीन साहित्य की आधुनिक सार्थकता — Pgs. 5258. आधुनिक साहित्य के स्रोत : रामायण और महाभारत — Pgs. 5269. ललित कलाओं का हृस — Pgs. 527
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