Hindi Patrakarita : AshvastiAurAshanka
Item Weight | 291 Grams |
ISBN | 978-8177214222 |
Author | Krishna Bihari Mishra |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2019 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Hindi Patrakarita : AshvastiAurAshanka
डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र को एक स्थान पर बहुमान्य पत्रकार श्री अच्युतानंद मिश्र ने 'हिंदी साहित्य और हिंदी पत्रकारिता के बीच सेतु' कहा है। बात ठीक भी है। हिंदी के ललित-निबंध साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ डॉ. मिश्र ने हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का गहरा अध्ययन किया है। यह अध्ययन आगे चलकर शोध की दिशा में बढ़ा और इसकी फलश्रुति हिंदी पत्रकारिता पर लगभग आधा दर्जन पुस्तकों के रूप में हुई। पत्रकारिता के छात्रों, शोधार्थियों, पेशेवर पत्रकारों तथा सामान्य पाठकों ने इन पुस्तकों को समभाव से ग्रहण किया—कृतज्ञता के साथ।हिंदी पत्रकारिता, जातीय अस्मिता की जागरण-भूमिका का सरोकार पत्रकारिता के हेतु एवं प्रयोजन के साथ-साथ जातीय अस्मिता के संवर्धन में उसके महत्त्व से भी है। हमारे वरेण्य पत्रकारों में हिंदी पत्रकारिता की कठिन डगर पकड़ने की चाह क्यों और कैसे जगी तथा इस पथ पर उन्होंने अपना सर्वस्व क्यों निछावर किया, आदि प्रश्न यदि किसी के मन में उठें तो डॉ. मिश्र का ���ीधा उत्तर है—जातीय अस्मिता को जगाने के लिए। जातीय अस्मिता की जागृति में हिंदी पत्रकारिता को समर्पित साधकों ने कितने काल तक कितनी आहुतियाँ दीं, इस पुस्तक में उसके प्रेरक विवरण दर्ज हैं। यही नहीं, इस पुस्तक के दो परिशिष्टों में इस जागरण-भूमिका को पुष्ट करनेवाले दस्तावेज शामिल किए गए हैं। हिंदी के आसनसिद्ध निबंधकार की कलम से हिंदी पत्रकारिता के इतिहास से उजागर हुआ यह महत्त्वपूर्ण पक्ष हमारी जातीय अस्मिता के आलोक को देशव्यापी प्रसार देगा, ऐसा विश्वास और सहज आश्वस्ति है।—अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमप्रतीति —Pgs.7आभार —Pgs.111. पृष्ठिका —Pgs.15हिंदी पत्रकारिता का आदि चरण और बंगाल, हिंदी पत्रकारिता के नींव निर्माताओं की बलवती निष्ठा, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) का परवर्ती परिवेश और हिंदी पत्रकारिता, स्वदेशी आंदोलन और हिंदी पत्रकारिता, पुनर्जागरण-परिदृश्य, हिंदी पत्रकारिता की उत्स भूमि की कृति भूमिका, तिलक युग की जातीय अभीप्सा, महात्मा गांधी का सत्याग्रह : समय-संवेदना और हिंदी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता की साहित्यिक भूमिका2. उपसंहार —Pgs.89परिशिष्टपरिशिष्ट : क —Pgs.100'उदंत मार्तंड', 'बंगदूत', 'भारत मित्र', 'सारसुधानिधि', 'उचितवक्ता', 'ब्राह्मण', 'सरस्वती', 'देवनागर', 'इंदु', 'प्रताप', 'प्रभा', 'आज', 'चाँद', 'समन्वय', 'माधुरी', 'सुधा', 'मतवाला', 'विशाल भारत', 'गंगा', 'हंस', 'जागरण', 'आज' (15 अगस्त, 1947), प्रतीक, कल्पना, वसुधा।परिशिष्ट : ख —Pgs.196समाचार-पत्रों का आदर्श—बाबूराव विष्णु पराड़कर (प्रथम संपादक सम्मेलन (सन् 1945, वृंदावन) का अध्यक्षीय वक्तव्य) पत्रकार—संघर्ष और संभावनाएँ—माखनलाल चतुर्वेदी (द्वितीय पत्रकार-परिषद् (भरतपुर, 1927) अध्यक्षीय वक्तव्य) पत्रकार का दायित्व—गणेशशंकर विद्यार्थी (विष्णुदत्त शुक्ल की पुस्तक 'पत्रकार-कला' की भूमिका का महत्त्वपूर्ण अंश)
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