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Hindi bhasha aur sansar
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About Book

हिन्दी में ऐसे कम लेखक हुए हैं जिन्होंने श्रेष्ठ लेखन करने के अलावा हिन्दी भाषा की समृद्धि और व्यापकता पर अपनी कविताओं और आलोचनात्मक गद्य में निरन्तर विचार किया हो। अशोक वाजपेयी ऐसे ही एक लेखक हैं जिन्होंने स्वयं को हिन्दी भाषा की संस्कृति से एकाकार किया हुआ है। इस पुस्तक में प्रकाशित उनसे लम्बा संवाद हिन्दी भाषा और संस्कृति पर किया गया है। इस संवाद को इस दृष्टि से किया गया था कि हमारे इस मुश्किल समय में हम भले ही सार्वजनिक संस्थानों को राजनैतिक शक्तियों के हाथों नष्ट होने से न बचा पायें पर हम कम-सेकम अपनी भाषाओं को बचाने का ऐसा कार्य अवश्य कर सकें जिसके सहारे भविष्य में हम अपनी सांस्कृतिक टूट-फूट को दुबारा दुरुस्त कर सकें। जिस समाज में भाषा पर निरन्तर विचार होता है, उसमें निरन्तर सृजन होता है, वह समाज अपने आप को किसी भी टूट-फूट से बाहर निकालने की स्थिति में बना रहता है। इस पुस्तक के दूसरे भाग में अशोक वाजपेयी के कृतित्व पर लिखे कुछ निबन्ध हैं, उनमें से एक संस्मरण है। इन निबन्धों में उनके सृजनात्मक लेखन को समझने का प्रयास तो है ही साथ ही उनकी सृजनशीलता का सम्बन्ध उनके संस्थान स्थपति स्वरूप से जोड़ने का प्रयत्न भी है। इस प्रयत्न के पीछे यह दृष्टि रही है कि मनुष्य के तमाम कार्यों के बीच एक तरह की अदृश्य अन्तर्निष्ठता अवश्य होती है। उसके कार्य एक-दूसरे से असम्बद्ध लगते हुए भी एक-दूसरे से अदृश्य रूप से जुड़े होते हैं।

About Author

उदयन वाजपेयी

जन्म: 4 जनवरी, 1960, सागर, मध्य प्रदेश।

प्रकाशित पुस्तकें : कुछ वाक्य, पागल गणितज्ञ की कविताएँ, केवल कुछ वाक्य (कविता-संग्रह), सुदेशना, दूर देश की गन्ध, सातवा बटन, घुड़सवार, रेत किनारे का घर (कहानी-संग्रह) चरखे पर बढ़त, जनगढ़ क़लम, पतझर के पाँव की मेंहदी (निबन्ध-संग्रह और यात्रा-वृत्तान्त), संवाद-पुस्तकें-अभेद आकाश (फ़िल्मकार मणि कौल), मति, स्मृति और प्रज्ञा (इतिहासकार धर्मपाल), उपन्यासकार का सफ़रनामा (शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी), विचरण (दार्शनिक नवज्योति सिंह), कवि का मार्ग (कवि कमलेश), भव्यता का रंगकर्म (रंगनिदेशक रतन थियाम), प्रवास और प्रवास (उपन्यासकार कृष्ण बलदेव वैद), सिनेमा और संसार (फ़िल्मकार कुमार शहानी), हिन्दी भाषा और संसार (कवि अशोक वाजपेयी), ‘दस्तकें’ इनकी रचनाओं का संचयन।

का.ना. पणिक्कर पर 'थियेटर ऑफ़ रस' और रतन थियाम पर 'थियेटर ऑफ़ ग्रेंजर'

वी आँविज़िब्ल (फ्रांसीसी में कविताओं के अनुवाद की पुस्तक)।

मटमैली स्मृति में प्रशान्त समुद्र (जापानी कवि शन्तारो तानीकावा के हिन्दी में अनुवाद)।

कविताओं, कहानियों और निबन्धों के अनुवाद तमिल, बाङ्ला, ओडिया, मलयालम, मराठी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, स्वीडिश, पोलिश, इतालवी, बुल्गारियन आदि भाषाओं में।

कुमार शहानी की फ़िल्म 'चार अध्याय' और ‘विरह भर्यो घर-आँगन कोने’ में लेखन।

कावालम नारायण पणिक्कर की रंगमण्डली 'सोपानम्' के लिए उत्तररामचरितम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् की हिन्दी में पुनर्रचना, पणिक्कर के साथ कालिदास के तीनों नाटकों के आधार पर संगमणियम्' नाटक का लेखन।

2000 में लेविनी (स्विट्जरलैण्ड) में और 2002 से पेरिस (फ्रॉस) में 'राइटर इन रेसिडेन्स', 2011 में नान्त (फ्राँस) में अध्येता की तरह आमन्त्रित। मई 2003 में फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में भारतीय कवि की हैसियत से व्याख्यान।

वाराणसी, भुबनेश्वर, पटना, मुम्बई, दिल्ली, पेरिस, मॉस्को, जिनिवा, काठमाण्डू आदि स्थानों पर कला, साहित्य, सिनेमा, लोकतन्त्र आदि विषयों पर व्याख्यान।

रज़ा फ़ाउण्डेशन, कृष्ण बलदेव वैद और स्पन्दन कृति पुरस्कार से सम्मानित।

'समास' का सम्पादन। हाल में पहला उपन्यास 'क़यास' प्रकाशित।

गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में अध्यापन।

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