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Har Koshish Hai Ek Baghawat

Rs. 295

Poem रचना-काल की दृष्टि से इस संग्रह की कविताएँ वर्ष 1963 से 2011 तक के विस्तार को घेरती हैं। इस विस्तार में का सारा कुछ इस एक संग्रह में समेट पाना असंभव था। चयन का कोई आधार तय कर पाना भी आसान न था। सिवा इसके कि कवि की रचना-यात्रा... Read More

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Poem रचना-काल की दृष्टि से इस संग्रह की कविताएँ वर्ष 1963 से 2011 तक के विस्तार को घेरती हैं। इस विस्तार में का सारा कुछ इस एक संग्रह में समेट पाना असंभव था। चयन का कोई आधार तय कर पाना भी आसान न था। सिवा इसके कि कवि की रचना-यात्रा के कुछ प्रमुख पड़ावों को चिह्नित किया जा सके। पर तब क्रम-निर्धारण की समस्या से भी जूझना पड़ा। पहले सोचा, कालक्रमानुसार संयोजित कर दिया जाए। पर फिर, कविताओं की मिज़ाजगत विविधता को देखते हुए इन्हें काल की वैसी पहरेदारी से मुक्त रखना ही उचित समझा। पत्र-पत्रिकाओं में छपी अनेक कविताओं को देखकर लगा कि स्वयं कवि की प्रवृत्ति भी यही रही है। (कई कविताएँ बहुत पहले लिखी गईं, पत्र-पत्रिकाओं में बहुत बाद में छपने को भेजी गईं।) इसलिए, रचना-वर्ष के क्रम में इन कविताओं का संयोजन मुझे भी बहुत ज़रूरी नहीं लगा। केवल इतना ही कि हर कविता के साथ उसका रचना-वर्ष दे दिया गया है। इस संग्रह की ज़्यादातर कविताएँ वर्ष 1978 और 2000 के बीच की हैं। पिछले दस-ग्यारह वर्षों के दौरान लिखी गई कविताओं में से केवल कुछ ही शामिल की जा सकीं, उचित होगा कि शेष एक स्वतंत्र संग्रह के रूप में प्रकाशित हों। इन कविताओं को इस रूप में सामने लाने की मेरी जि़द का मान कवि ने रखा, मैं कृतार्थ हूँ! —शैलेय
Description
Poem रचना-काल की दृष्टि से इस संग्रह की कविताएँ वर्ष 1963 से 2011 तक के विस्तार को घेरती हैं। इस विस्तार में का सारा कुछ इस एक संग्रह में समेट पाना असंभव था। चयन का कोई आधार तय कर पाना भी आसान न था। सिवा इसके कि कवि की रचना-यात्रा के कुछ प्रमुख पड़ावों को चिह्नित किया जा सके। पर तब क्रम-निर्धारण की समस्या से भी जूझना पड़ा। पहले सोचा, कालक्रमानुसार संयोजित कर दिया जाए। पर फिर, कविताओं की मिज़ाजगत विविधता को देखते हुए इन्हें काल की वैसी पहरेदारी से मुक्त रखना ही उचित समझा। पत्र-पत्रिकाओं में छपी अनेक कविताओं को देखकर लगा कि स्वयं कवि की प्रवृत्ति भी यही रही है। (कई कविताएँ बहुत पहले लिखी गईं, पत्र-पत्रिकाओं में बहुत बाद में छपने को भेजी गईं।) इसलिए, रचना-वर्ष के क्रम में इन कविताओं का संयोजन मुझे भी बहुत ज़रूरी नहीं लगा। केवल इतना ही कि हर कविता के साथ उसका रचना-वर्ष दे दिया गया है। इस संग्रह की ज़्यादातर कविताएँ वर्ष 1978 और 2000 के बीच की हैं। पिछले दस-ग्यारह वर्षों के दौरान लिखी गई कविताओं में से केवल कुछ ही शामिल की जा सकीं, उचित होगा कि शेष एक स्वतंत्र संग्रह के रूप में प्रकाशित हों। इन कविताओं को इस रूप में सामने लाने की मेरी जि़द का मान कवि ने रखा, मैं कृतार्थ हूँ! —शैलेय

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Paperbacks

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Har Koshish Hai Ek Baghawat

Poem रचना-काल की दृष्टि से इस संग्रह की कविताएँ वर्ष 1963 से 2011 तक के विस्तार को घेरती हैं। इस विस्तार में का सारा कुछ इस एक संग्रह में समेट पाना असंभव था। चयन का कोई आधार तय कर पाना भी आसान न था। सिवा इसके कि कवि की रचना-यात्रा के कुछ प्रमुख पड़ावों को चिह्नित किया जा सके। पर तब क्रम-निर्धारण की समस्या से भी जूझना पड़ा। पहले सोचा, कालक्रमानुसार संयोजित कर दिया जाए। पर फिर, कविताओं की मिज़ाजगत विविधता को देखते हुए इन्हें काल की वैसी पहरेदारी से मुक्त रखना ही उचित समझा। पत्र-पत्रिकाओं में छपी अनेक कविताओं को देखकर लगा कि स्वयं कवि की प्रवृत्ति भी यही रही है। (कई कविताएँ बहुत पहले लिखी गईं, पत्र-पत्रिकाओं में बहुत बाद में छपने को भेजी गईं।) इसलिए, रचना-वर्ष के क्रम में इन कविताओं का संयोजन मुझे भी बहुत ज़रूरी नहीं लगा। केवल इतना ही कि हर कविता के साथ उसका रचना-वर्ष दे दिया गया है। इस संग्रह की ज़्यादातर कविताएँ वर्ष 1978 और 2000 के बीच की हैं। पिछले दस-ग्यारह वर्षों के दौरान लिखी गई कविताओं में से केवल कुछ ही शामिल की जा सकीं, उचित होगा कि शेष एक स्वतंत्र संग्रह के रूप में प्रकाशित हों। इन कविताओं को इस रूप में सामने लाने की मेरी जि़द का मान कवि ने रखा, मैं कृतार्थ हूँ! —शैलेय