Ham Gunahgar aur Besharm Auraten
Author | Kavita Kadambari |
Language | Hindi |
Publisher | Antika Prakashan |
Categories | Collection of Hindi Poems |
Pages | 128 |
ISBN | 978-93-91925-99-4 |
Item Weight | 0.4 kg |
Ham Gunahgar aur Besharm Auraten
कविता के पास एक सशक्त और संप्रेषणीय भाषा है जिसमें कविता की लय है और स्त्री की भंगिमा। इस संग्रह की कविताएँ एक यात्रा की तरह हैं जिसके पड़ाव बीच-बीच में चकित करते हैं तो कभी शांत होकर सोचने को विवश करते हैं। दृष्टि का पैनापन 'महापुरुष का स्त्री होना' जैसी कविता में झलकता है तो 'मछली के पंख' जैसी कविता पारंपरिक प्रतीकों के ज़रिए नए स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को नई अभिव्यक्ति में तब्दील कर देती हैं। ये कविताएँ उस स्त्रीवादी स्टैंड को आवाज़ देती हैं जहाँ किसी के साथ अन्याय, लिंचिंग, धोखा न हो; जहाँ हर कमज़ोर, परित्यक्त, दुखी के प्रति संवेदनशीलता के साथ दुनिया को प्रेम से बेहतर बनाने का स्वप्न पलता है। यह गुनाह है तो एक खूबसूरत गुनाह है! भाषा ने स्त्रियों के साथ जो भी छल किया हो उसे धो-पोंछकर अपनी बात कहलवाने की उत्कट इच्छा इस संग्रह की ताकत है जिसका हिंदी कविता की दुनिया में स्वागत किया जाना चाहिए। —सुजाता
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