Gram Swarajya
Item Weight | 509 Grams |
ISBN | 978-9350480212 |
Author | Mahatma Gandhi |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2019 |
Edition | 1st |

Gram Swarajya
ग्राम स्वराज्य—महात्मा गांधीयह सोचना गलत है कि गांधीजी आज के उद्योगीकरण के बारे में बहुत पुराने विचार रखते थे। सच पूछा जाए तो वे उद्योगों के यंत्रीकरण के विरुद्ध नहीं थे। गाँवों के लाखों कारीगरों को काम दे सकनेवाले छोटे यंत्रों में जो भी सुधार किया जाए, उसका वे स्वागत करते थे। गांधीजी बड़े-बड़े कारखानों में विपुल मात्रा में माल पैदा करने के बजाय देश के विशाल जन-समुदायों द्वारा अपने घरों और झोंपड़ों में माल का उत्पादन करने की हिमायत करते थे। वे भारत के प्रत्येक सबल व्यक्ति को पूरा काम देने के बारे में बहुत अधिक चिंतित रहते थे और मानते थे कि यह ध्येय तभी सिद्ध होगा जब गाँवों में सुचारु रूप से ग्रामोद्योगों तथा कुटीर उद्योगों का संगठन और संचालन किया जाएगा। महात्मा गांधी ग्राम-पंचायतों के संगठन द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण का जोरदार समर्थन करते थे।दुर्भाग्य से आर्थिक जीवन के नैति�� और आध्यात्मिक पहलू की हमेशा उपेक्षा की गई है, जिसके फलस्वरूप सच्चे मानव-कल्याण को बड़ी हानि पहुँची है। आधुनिक अर्थशास्त्री अब इस महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देने लगे हैं कि यदि हमें विशाल पैमाने पर तीव्र गति से आर्थिक विकास साधना है तो 'वस्तुओं की गुणवत्ता' बढ़ाने के साथ 'मनुष्यता की गुणवत्ता' भी बढ़ानी चाहिए। अतः वर्तमान परिस्थिति में गांधीजी के 'ग्राम स्वराज्य' की अवधारणा के पठन-पाठन की महती आवश्यकता है।_______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमपाठकों से — Pgs. 5प्राक्कथन — Pgs. 7भूमिका — Pgs. 111. स्वराज्य का अर्थ — Pgs. 252. आदर्श समाज का चित्र — Pgs. 303. आशा का एकमात्र मार्ग — Pgs. 324. शहर और गाँव — Pgs. 415. ग्राम-स्वराज्य — Pgs. 476. ग्राम-स्वराज्य के बुनियादी सिद्धांत — Pgs. 517. शरीर-श्रम — Pgs. 608. समानता — Pgs. 649. संरक्षकता का सिद्धांत — Pgs. 6610. स्वदेशी की भावना — Pgs. 6911. स्वावलंबन और सहयोग — Pgs. 7512. पंचायत राज — Pgs. 8013. नई तालीम — Pgs. 8614. खेती और पशुपालन — Pgs. 9915. खादी और कताई — Pgs. 13016. अन्य ग्रामोद्योग — Pgs. 14417. गाँवों का यातायात — Pgs. 16318. मुद्रा, विनिमय और कर — Pgs. 16819. गाँवों की सफाई — Pgs. 17020. गाँवों का स्वास्थ्य — Pgs. 17221. आहार — Pgs. 18622. गाँव की रक्षा — Pgs. 19323. ग्रामसेवक — Pgs. 19724. सरकार और गाँव — Pgs. 21825. भारत और विश्व — Pgs. 222
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