Gopal Das 'Neeraj' Ki Hastalikhit Kavitayein
Author | Pragya Sharma |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9353225827 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.175 kg |
Edition | 1 |
Gopal Das 'Neeraj' Ki Hastalikhit Kavitayein
गोपाल दास 'नीरज'(4 जनवरी, 1925-19 जुलाई, 2018)गोपाल दास 'नीरज' शिक्षाविद्, फिल्मी गीतकार एवं काव्य मंचों के सक्रिय कवि थे। उनका जन्म इटावा जिले के ब्लॉक महेवा के निकट पुरावली गाँव में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना के यहाँ हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था। पिता के निधन के पश्चात् फूफाजी ने हाईस्कूल तक की उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली, लेकिन संतुलित विकास हेतु एक बालक को शिक्षा के अतिरिक्त भी बहुत कुछ चाहिए होता है, उस 'बहुत कुछ' का बालक नीरज के जीवन में सदैव अभाव रहा। एटा में हाईस्कूल की परीक्षा देने के बाद आगे की शिक्षा पूर्ण करने एवं आजीविका की तलाश में उन्होंने बहुत से छोटे-बड़े रोजगार किए। इसके पश्चात् नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देते हुए उन्होंने प्रथम श्रेणी में हिंदी साहित्य से एम.ए. किया और फिर अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गए तथा मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे।कवि-सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के चलते उनको मुंबई के फिल्म जगत् ने 'नई उमर की नई फसल' के गीत लिखने का निमंत्रण दिया। 'कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे' और 'देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जाएगा' जैसे गीत बेहद लोकप्रिय हुए, जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बंबई में रहकर फिल्मों के लिए गीत लिखने लगे। यह सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। बाद में फिल्म नगरी से मन उचाट होने के कारण वे वापस अलीगढ़ आ गए और जीवन के आखिरी समय तक काव्य मंचों पर सक्रिय रहे। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के दर्जे पर रहते हुए उन्होंने विविध संस्थानों की सेवा भी की।प्रमुख कविता-संग्रह : संघर्ष, अंतर्ध्वनि, विभावरी, प्राणगीत, दर्द दिया है, बादर बरस गयो, मुक्तकी, दो गीत, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, बादलों से सलाम लेता हूँ, आसावरी, नदी किनारे, लहर पुकारे, कारवाँ गुजर गया, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिए, नीरज की गीतिकाएँ, गीत जो गाए नहीं, काव्यांजलि, नीरज संचयन, नीरज के संग-कविता के सात रंग।पुरस्कार एवं सम्मान : भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण (2007) तथा पद्श्री (1991) अलंकरण। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यशभारती अलंकरण। वर्ष 1970 का सर्वश्रेष्ठ गीतकार श्रेणी का फिल्मफेयर अवार्ड। इसके अतिरिक्त विविध राज्य सरकारों, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
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