Goongi Rulaai Ka Chorus
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Goongi Rulaai Ka Chorus
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गूँगी रुलाई का कोरस अपने समय और समाज की गहरी, बेचैन, मानवीय, नैतिक, रचनात्मक-सृजनात्मक चिन्ताओं के तहत लिखा गया हमारे समय का एक ज़रूरी उपन्यास है जिसके सरोकार कहीं अधिक व्यापक हैं।
गूँगी रुलाई का कोरस केवल उस्ताद महताबुद्दीन ख़ान की चार पीढ़ियों के कुल सात सदस्यों की पारिवारिक कथा न होकर, हिन्दुस्तान और इस उपमहाद्वीप के साथ विश्व के एक बड़े भू-भाग की कथा भी है। यह मौसिक़ी मंज़िल को केवल एक मकान और स्थान के रूप में न देखकर व्यापक अर्थों-सन्दर्भों में देखता है। हिन्दुस्तानी संगीत की विकास-यात्रा, धर्म, सम्प्रदाय, हिंसा की राजनीति, अन्य के प्रति घृणा-विद्वेष, राष्ट्र-राष्ट्रवाद, अख़बार, न्याय-न्यायपालिका, हिन्दुत्ववादी ताक़तें, पुलिस, ट्रोलर्स, स्पेशल टास्क फ़ोर्स, जाति, धर्म, सोशल मीडिया, अमरीकी-यूरोपीय नीतियाँ सब ओर उपन्यासकार की निगाह है। फ़लक व्यापक है।
गूँगी रुलाई का कोरस गहन अध्ययन,
श्रम-अध्यवसाय से लिखा गया एक शोधपरक उपन्यास है। साझी संस्कृति और इनसानियत को नए सिरे से रेखांकित करनेवाला एक विशिष्ट आख्यान। बांग्ला-भाषा से युक्त इस कृति की भाषा का अपना एक अलग सौन्दर्य-रस है। रणेन्द्र गहरे सामाजिक-सांस्कृतिक कन्सर्न के उपन्यासकार हैं, उनका ‘स्टैंड’ साफ़ है, जिसे समझने के लिए इस कथाकृति को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।
–रविभूषण
गूँगी रुलाई का कोरस केवल उस्ताद महताबुद्दीन ख़ान की चार पीढ़ियों के कुल सात सदस्यों की पारिवारिक कथा न होकर, हिन्दुस्तान और इस उपमहाद्वीप के साथ विश्व के एक बड़े भू-भाग की कथा भी है। यह मौसिक़ी मंज़िल को केवल एक मकान और स्थान के रूप में न देखकर व्यापक अर्थों-सन्दर्भों में देखता है। हिन्दुस्तानी संगीत की विकास-यात्रा, धर्म, सम्प्रदाय, हिंसा की राजनीति, अन्य के प्रति घृणा-विद्वेष, राष्ट्र-राष्ट्रवाद, अख़बार, न्याय-न्यायपालिका, हिन्दुत्ववादी ताक़तें, पुलिस, ट्रोलर्स, स्पेशल टास्क फ़ोर्स, जाति, धर्म, सोशल मीडिया, अमरीकी-यूरोपीय नीतियाँ सब ओर उपन्यासकार की निगाह है। फ़लक व्यापक है।
गूँगी रुलाई का कोरस गहन अध्ययन,
श्रम-अध्यवसाय से लिखा गया एक शोधपरक उपन्यास है। साझी संस्कृति और इनसानियत को नए सिरे से रेखांकित करनेवाला एक विशिष्ट आख्यान। बांग्ला-भाषा से युक्त इस कृति की भाषा का अपना एक अलग सौन्दर्य-रस है। रणेन्द्र गहरे सामाजिक-सांस्कृतिक कन्सर्न के उपन्यासकार हैं, उनका ‘स्टैंड’ साफ़ है, जिसे समझने के लिए इस कथाकृति को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।
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