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Ghar Wapsi

Rs. 300

"घर वापसी" युवा कथाकार मनोज कुमार शिव का पहला कहानी-संग्रह है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के निकट के एक छोटे से क़स्बे से आने वाले मनोज की जड़ पहाड़ पर उगे देवदार की तरह गहराई तक है। वहाँ के जन-जीवन, लोक-परम्परा और निरंतर बदलते हालात के बीच पहाड़ी अस्मिता और... Read More

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"घर वापसी" युवा कथाकार मनोज कुमार शिव का पहला कहानी-संग्रह है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के निकट के एक छोटे से क़स्बे से आने वाले मनोज की जड़ पहाड़ पर उगे देवदार की तरह गहराई तक है। वहाँ के जन-जीवन, लोक-परम्परा और निरंतर बदलते हालात के बीच पहाड़ी अस्मिता और मनुष्यता के संघर्ष की कहानियाँ इन्होंने जिस सहजता और खूबसूरती से कही है, इसने इस कथाकार से बड़ी उम्मीद जगा दी है। मनोज कुमार शिव की कहानियों के बाबत चर्चित कथाकार मुरारी शर्मा लिखते हैं-- "मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के संभावनाशील कथाकार हैं। इन कहानियों से गुज़रना दूर-दराज के अंचलों में बसे जनमानस के जीवन से साक्षात्कार करने जैसा है। मनोज बेहद संवेदनशील रचनाकार हैं और अपने लोक को सूक्ष्मता से पकड़ते ही नहीं बल्कि उसमें डूबकर जीते भी हैं। वे सही मायने में लोकजीवन के कथाकार हैं और ग्राम्य परिवेश में तेज़ी से आ रहे बदलाव को न केवल महसूस करते हैं, अपितु आम जनमानस के दर्द का हिस्सा बनकर प्रतिकार भी करते हैं। मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के ऐसे कथाकार हैं जो लोकजीवन में गहरी पैठ रखते हैं। अपने आसपास हो रहे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों को वे न केवल महसूस करते हैं बल्कि आमजन के आचार-व्यवहार, रहन-सहन, बोली-भाषा और समग्र जीवन में हो रहे बदलाव को अपनी रचनाशीलता का हिस्सा बनाते हैं। अपने पहले कथा-संग्रह से मनोज हिंदी के विशाल पाठकवर्ग के समक्ष अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। मनोज की अधिकांश कहानियों का कथानक पहाड़ी ग्रामीण परिवेश है जहाँ की मिट्टी में लोटपोट होकर, नदी-नालों, हाटघराट, जंगल-देवता के थान आदि में उनका बचपन बीता है। इसी परिवेश से उनकी कहानियों के किरदार सामने आते हैं।"
Description
"घर वापसी" युवा कथाकार मनोज कुमार शिव का पहला कहानी-संग्रह है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के निकट के एक छोटे से क़स्बे से आने वाले मनोज की जड़ पहाड़ पर उगे देवदार की तरह गहराई तक है। वहाँ के जन-जीवन, लोक-परम्परा और निरंतर बदलते हालात के बीच पहाड़ी अस्मिता और मनुष्यता के संघर्ष की कहानियाँ इन्होंने जिस सहजता और खूबसूरती से कही है, इसने इस कथाकार से बड़ी उम्मीद जगा दी है। मनोज कुमार शिव की कहानियों के बाबत चर्चित कथाकार मुरारी शर्मा लिखते हैं-- "मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के संभावनाशील कथाकार हैं। इन कहानियों से गुज़रना दूर-दराज के अंचलों में बसे जनमानस के जीवन से साक्षात्कार करने जैसा है। मनोज बेहद संवेदनशील रचनाकार हैं और अपने लोक को सूक्ष्मता से पकड़ते ही नहीं बल्कि उसमें डूबकर जीते भी हैं। वे सही मायने में लोकजीवन के कथाकार हैं और ग्राम्य परिवेश में तेज़ी से आ रहे बदलाव को न केवल महसूस करते हैं, अपितु आम जनमानस के दर्द का हिस्सा बनकर प्रतिकार भी करते हैं। मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के ऐसे कथाकार हैं जो लोकजीवन में गहरी पैठ रखते हैं। अपने आसपास हो रहे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों को वे न केवल महसूस करते हैं बल्कि आमजन के आचार-व्यवहार, रहन-सहन, बोली-भाषा और समग्र जीवन में हो रहे बदलाव को अपनी रचनाशीलता का हिस्सा बनाते हैं। अपने पहले कथा-संग्रह से मनोज हिंदी के विशाल पाठकवर्ग के समक्ष अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। मनोज की अधिकांश कहानियों का कथानक पहाड़ी ग्रामीण परिवेश है जहाँ की मिट्टी में लोटपोट होकर, नदी-नालों, हाटघराट, जंगल-देवता के थान आदि में उनका बचपन बीता है। इसी परिवेश से उनकी कहानियों के किरदार सामने आते हैं।"

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Book Type

Hardbound

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Ghar Wapsi

"घर वापसी" युवा कथाकार मनोज कुमार शिव का पहला कहानी-संग्रह है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के निकट के एक छोटे से क़स्बे से आने वाले मनोज की जड़ पहाड़ पर उगे देवदार की तरह गहराई तक है। वहाँ के जन-जीवन, लोक-परम्परा और निरंतर बदलते हालात के बीच पहाड़ी अस्मिता और मनुष्यता के संघर्ष की कहानियाँ इन्होंने जिस सहजता और खूबसूरती से कही है, इसने इस कथाकार से बड़ी उम्मीद जगा दी है। मनोज कुमार शिव की कहानियों के बाबत चर्चित कथाकार मुरारी शर्मा लिखते हैं-- "मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के संभावनाशील कथाकार हैं। इन कहानियों से गुज़रना दूर-दराज के अंचलों में बसे जनमानस के जीवन से साक्षात्कार करने जैसा है। मनोज बेहद संवेदनशील रचनाकार हैं और अपने लोक को सूक्ष्मता से पकड़ते ही नहीं बल्कि उसमें डूबकर जीते भी हैं। वे सही मायने में लोकजीवन के कथाकार हैं और ग्राम्य परिवेश में तेज़ी से आ रहे बदलाव को न केवल महसूस करते हैं, अपितु आम जनमानस के दर्द का हिस्सा बनकर प्रतिकार भी करते हैं। मनोज कुमार शिव नई पीढ़ी के ऐसे कथाकार हैं जो लोकजीवन में गहरी पैठ रखते हैं। अपने आसपास हो रहे सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों को वे न केवल महसूस करते हैं बल्कि आमजन के आचार-व्यवहार, रहन-सहन, बोली-भाषा और समग्र जीवन में हो रहे बदलाव को अपनी रचनाशीलता का हिस्सा बनाते हैं। अपने पहले कथा-संग्रह से मनोज हिंदी के विशाल पाठकवर्ग के समक्ष अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। मनोज की अधिकांश कहानियों का कथानक पहाड़ी ग्रामीण परिवेश है जहाँ की मिट्टी में लोटपोट होकर, नदी-नालों, हाटघराट, जंगल-देवता के थान आदि में उनका बचपन बीता है। इसी परिवेश से उनकी कहानियों के किरदार सामने आते हैं।"