Gathbandhan Rajaneeti Mein Bihar: Double Engine Sarkar
Item Weight | 168 Grams |
ISBN | 978-9353228910 |
Author | Kumar Dinesh |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2020 |
Edition | 1 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Gathbandhan Rajaneeti Mein Bihar: Double Engine Sarkar
वर्ष 2013-17 के बीच बिहार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन को टूटते-बनते देखा। इन दो बड़े राजनीतिक विखंडनों का शासन, समाज और अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा दुष्प्रभाव पड़ा, यह तो शोध का विषय है, लेकिन इतना तय है कि गठबंधन राजनीति के कई-कई पाटों के बीच कोई अमृत कोश अक्षुण्ण रहा, जिससे बिहारी समाज की सात्त्विक चेतना साबुत बची रही। उसकी संजीवनी से कला, विज्ञान और सामाजिक बदलाव जैसे कई क्षेत्रों में उपलब्धियों के फूल भी खिलते रहे। नीतीश कुमार के भाजपा से फिर हाथ मलाने के बाद बिहार के लिए केंद्र से टकराव का दौर समाप्त हुआ। जुलाई 2017 में 27 साल बाद पटना और दिल्ली में एक ही गठबंधन की सरकार बनी। इस संयोग को हमारे पिछड़े राज्य के विकास की गति बढ़ानेवाले बदलाव के रूप में देखा गया। पटना को मेट्रो रेल मलने का रास्ता साफ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों विकास की राजनीति के आइकन बन चुके हैं। बिहार इस समय डबल इंजनवाली राजग सरकार पर सवार है। पुस्तक का शीर्षक इस तथ्य का रूपक है। पुस्तक में हर आलेख से पहले आचार्य चाणक्य के नीति श्लोक उद्घृत किए गए हैं, ताकि पाठक स्वयं परख सकें कि आज की राजनीति कितनी नीतिपरक रह गई है।____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमअभिमत : राजनीतिक चित्रपट पर घटनाओं के बिंब —Pgs. 7लेखकीय : बीती हुई गलियों से फिर गुजरना.. —Pgs.. 91. एक असंभव के खिलाफ —Pgs. 172. सीढ़ियाँ चढ़ते सुशील मोदी —Pgs. 243. सिर्फ पोस्टर पर गोली दागो... —Pgs.334. न फर्जी डिग्री में शर्म, न नकल में —Pgs. 375. सुशासन पर सवाल —Pgs. 436. महिमा घटी समुद्र की —Pgs. 487. पैकेज पर पाॅलिटिक्स —Pgs. 548. बिहार को चाहिए नया चाँद —Pgs. 609. महानायक बने नीतीश —Pgs. 6510. पी.एम. मैटीरियल —Pgs. 7411. मलिन होता राजमुकुट —Pgs. 8412. सप्त क्रांति बनाम सात निश्चय —Pgs. 9013. नीतीश रतन धन पायो —Pgs. 9714. लौट आए डरावने दिन —Pgs. 10315. सफेद कुरते पर स्याही —Pgs. 10916. न दामन पे कोई छींट... —Pgs.11617. बिहारी, फूल बरसाओ... —Pgs.12318. हादसे तो होते रहेंगे —Pgs. 12919. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जय —Pgs. 13420. सामूहिक शर्म का मौसम —Pgs. 13821. योगी प्रभाव की आहट —Pgs. 14322. फिर लालू बनाम सुमो —Pgs. 14923. कातिल ही लिखेगा फैसला —Pgs. 15524. सियासत में बहार, हमारा बियाबाँ —Pgs. 16025. फिर साथ होने का जोखिम —Pgs. 16726. नीतीश की नमो-नमो —Pgs. 17327. बाढ़, बालू और राजनीति —Pgs. 17928. लालटेन युग का संधिकाल —Pgs. 18529. उत्तरायण राजनीति से आस —Pgs. 19230. सबसे तेज विकास —Pgs. 19831. उप-चुनाव और रामनवमी —Pgs. 20332. विचार-युद्ध में हारे लालू और कांग्रेस —Pgs. 20933. महोदय, पर्यावरण आडिट कराइए —Pgs. 21234. दोस्त को कम आँकने का दौर —Pgs. 21535. चाहिए ग्रेटा जैसी बेटियाँ —Pgs. 21836. लोकतंत्र के गटर में डूबा पटना —Pgs. 221
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