Rs. 495.00
बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के विख्यात उपन्यासकार अमृतलाल नागर के गद्यशिल्प की बहुरंगी-छटा के दर्शन उनकी कहानियों, नाटकों, रेखाचित्रों, संस्मरणों, हास्य-व्यंग्य एवं बाल साहित्य आदि में होते हैं। साहित्य के अतिरिक्त उनकी सिनेमा तथा नाट्य कला में गहरी पैठ थी, किन्तु पाठकों के समक्ष वह अधिक उजागर होकर नहीं आ... Read More
बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के विख्यात उपन्यासकार अमृतलाल नागर के गद्यशिल्प की बहुरंगी-छटा के दर्शन उनकी कहानियों, नाटकों, रेखाचित्रों, संस्मरणों, हास्य-व्यंग्य एवं बाल साहित्य आदि में होते हैं। साहित्य के अतिरिक्त उनकी सिनेमा तथा नाट्य कला में गहरी पैठ थी, किन्तु पाठकों के समक्ष वह अधिक उजागर होकर नहीं आ पाई। नाट्य-कला से सम्बन्धित प्रायः सभी विधाओं के मर्म को नागरजी ने बड़ी सूक्ष्मता के साथ आत्मसात् किया था। सिनेमा की पटकथा एवं संवाद लेखन तथा रंगमंच, रेडियो एवं दूरदर्शन के नाट्य लेखन तथा प्रस्तुति-शिल्प में वे सिद्धहस्त थे।
Color | Black |
---|