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Ek Jan Buddhijeevi Ke Vaicharik Notes

Dr. P.N. Singh Edited by Gopeshwar Singh

Rs. 350

‘समकालीन सोच’ के अग्रलेखों को एक साथ पढ़ना अपने समय-समाज के ज़रूरी सवालों के सामने खड़ा होना है। राजनीति, भाषा, जाति, धर्म, आधुनिकता, मार्क्सवाद, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता आदि के प्रश्नों से टकराने के क्रम में लिखे गये इन अग्रलेखों को पढ़ना अपने को वैचारिक रूप से उन्नत करना और बौद्धिक... Read More

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Description
‘समकालीन सोच’ के अग्रलेखों को एक साथ पढ़ना अपने समय-समाज के ज़रूरी सवालों के सामने खड़ा होना है। राजनीति, भाषा, जाति, धर्म, आधुनिकता, मार्क्सवाद, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता आदि के प्रश्नों से टकराने के क्रम में लिखे गये इन अग्रलेखों को पढ़ना अपने को वैचारिक रूप से उन्नत करना और बौद्धिक रूप से समृद्ध करना है। भूमण्डलीकरण के भारत में पाँव पसारने के बाद भारतीय समाज, साहित्य, राजनीति तथा अन्य क्षेत्रों में जो बदलाव आये, उनकी पड़ताल करने का काम जिन पत्रिकाओं ने किया उनमें अग्रणी भूमिका ‘समकालीन सोच’ और उसके अग्रलेखों की भी है। इसलिए इनका एक जगह प्रकाशन आवश्यक था।
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Ek Jan Buddhijeevi Ke Vaicharik Notes

‘समकालीन सोच’ के अग्रलेखों को एक साथ पढ़ना अपने समय-समाज के ज़रूरी सवालों के सामने खड़ा होना है। राजनीति, भाषा, जाति, धर्म, आधुनिकता, मार्क्सवाद, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता आदि के प्रश्नों से टकराने के क्रम में लिखे गये इन अग्रलेखों को पढ़ना अपने को वैचारिक रूप से उन्नत करना और बौद्धिक रूप से समृद्ध करना है। भूमण्डलीकरण के भारत में पाँव पसारने के बाद भारतीय समाज, साहित्य, राजनीति तथा अन्य क्षेत्रों में जो बदलाव आये, उनकी पड़ताल करने का काम जिन पत्रिकाओं ने किया उनमें अग्रणी भूमिका ‘समकालीन सोच’ और उसके अग्रलेखों की भी है। इसलिए इनका एक जगह प्रकाशन आवश्यक था।