DIVASWAPNA
| Item Weight | 175 Grams |
| ISBN | 978-9380823706 |
| Author | Acharya Swami Shri Dharmendra Maharaj |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2012 |
| Edition | 2012 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
DIVASWAPNA
हमारी संस्कृति तो अपनी संपूर्ण प्राण-शक्ति के साथ हमें यही प्रेरित करती आ रही है कि पुरुष को स्त्री के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। इसी प्रकार स्त्री भी पुरुष के अटूट संग की कामना करती है। 'दाम्पत्य-योग' अनेक जन्मों की साधना के संस्कारों का मधुर फल है, जो विधि-निषेध सापेक्ष न होकर स्वयंभू जैसा है। यही अभ्युदय और निःश्रेयस का साधक है। वर्षों पूर्व भारत में प्रादुर्भूत एवं आज तक चली आ रही पति-पत्नी की अभिन्न-एकात्मता-परम्परा को 'दाम्पत्य-योग' की संज्ञा आचार्यश्री ने ही पहली बार दी है।यह योग संसार के श्रद्धावान और सत्पात्र दम्पतियों को, भगवान् शंकर और माँ पार्वती का कृपा-प्रसाद है। वसिष्ठ-अरुंधती, अत्रि-अनसूया और सत्यवान-सावित्री प्रभृति हमारे पितर इस योग के उच्चतम आदर्श एवं प्रेरक उदाहरण हैं। आधी सदी पूर्व आचार्यश्री द्वारा रचित ये गीत, काव्य-सौन्दर्य तथा हिन्दी के गीत-निबन्धन सामर्थ्य के आदर्श प्रमाण हैं। ये केवल पाठकों को आनन्दित ही नहीं करेंगे, वरन् आचार्यश्री के व्यक्तित्व और कृतित्व के एक अज्ञात पक्ष को प्रकाशित करके, उनके लाखों प्रशंसकों एवं अनुयायियों को चमत्कृत, चकित और मंत्रमुग्ध भी कर देंगे। 'दिवास्वप्न' के गीत 'दाम्पत्य-योग' के गीत हैं। दूसरे शब्दों में 'दिवास्वप्न' दाम्पत्य-योग का गीति-काव्य है।निस्संदेह इस कविता-शतक की सभी कृतियाँ सरस गीत हैं, जो श्रव्य-सुखद हैं और गेय हैं। इनमें कहीं भी दैहिक या मांसल आसक्ति की झलक नहीं है।
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