Dehri Par Deepak
by Madhav hada
Item Weight | 165 gram |
ISBN | 978-93-91277-24-6 |
Author | Madhav hada |
Language | Hindi |
Publisher | Setu prakashan |
Pages | 216 |
Book Type | Paperback |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Publishing year | 2022 |
Edition | 1st |

Dehri Par Deepak
About Book
देहरी पर दीपक का यथार्थ वह ग्रामीण भारतीय जनमानस जानता है, जो आज के उत्तर आधुनिक, उग्र उपभोक्तावादी दौर से पहले का है। देहरी के दीपक में आश्वस्ति होती है, घुप्प अन्धकार के बीच हमारी भवता के सहकार की! उसमें ऊष्मा होती है, भरोसा होता है अन्धकार के भीतर सुरक्षित रहने का। उसी तरह माधव हाड़ा का दीपक बौद्धिक विवेक का आश्वासन है। इसमें किसी किस्म की आक्रामकता नहीं है, न ही किसी किस्म की परमुखापेक्षिता। है तो अपने विवेक के साथ समय और समाज से एक सार्थक संवाद का आग्रह। इस संवाद में न परम्परा का निषेध है, न परम्परागत विषयों और न ही आधुनिक सन्दर्भो का। इसीलिए इसमें मीरा और सूरदास हैं तो तुगलक और ब्रह्मराक्षस भी। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की भारतीय परम्परा है तो छायावाद का विश्लेषण भी।
विषयों, सन्दर्भो और प्रसंगों की विविधता के बीच परम्परा, संस्कृति, जनचेतना का दृश्य रूप आदि वे संगतियाँ हैं, जिससे इस विविधता की आन्तरिकता निर्मित होती है। यह एकान्विति ही हमारी आश्वस्ति का मूल आधार है।
About Author
माधव हाड़ा
माधव हाड़ा जाने-माने आलोचक हैं। साहित्य, मीडिया, संस्कृति, समाज-दर्शन एवं इतिहास आदि विषयों पर निरंतर लिखते हैं। आप हिन्दी, अंग्रेजी और राजस्थानी तीनों भाषाओं के ज्ञाता हैं। भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी, देवराज उपाध्याय आलोचना पुरस्कार से सम्मानित हैं। अनेक मौलिक आलोचनों पुस्तकों व सम्पादित पुस्तकों के लेखक हैं।
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