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Dear Mrs. Naidu

Mathangi Subramanian

Rs. 299

बारह साल की सरोजिनी का पक्का दोस्त आमिर अब उसका पक्का दोस्त नहीं रहा. जब से वह उसकी बस्ती से बाहर रहने गया और मँहगे निजी स्कूल में पढ़ने जाने लगा तब से उसके और सरोजिनी के बीच कुछ भी तो एक-सा नहीं रह गया. तभी सरोजिनी को ‘शिक्षा का... Read More

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बारह साल की सरोजिनी का पक्का दोस्त आमिर अब उसका पक्का दोस्त नहीं रहा. जब से वह उसकी बस्ती से बाहर रहने गया और मँहगे निजी स्कूल में पढ़ने जाने लगा तब से उसके और सरोजिनी के बीच कुछ भी तो एक-सा नहीं रह गया. तभी सरोजिनी को ‘शिक्षा का अधिकार’ क़ानून के बारे में पता चला, जिसकी मदद से उसे आमिर के स्कूल में निःशुक्ल प्रवेश मिल सकता है- या यह भी हो सकता है कि वह अपने सरकारी स्कूल में इस तरह के सुधार ला सके कि आमिर को ही वापस अपने स्कूल में बुला ले, जहाँ वे साथ-साथ पढ़ने जाते थे. अपने पक्के दोस्त से दोस्ती बचाने की इस कोशिश में सरोजिनी को कुछ ऐसे लोगों से मदद मिलती है, जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था. जैसे मज़दूर बस्ती में रहने वाली उसकी दबंग सहपाठी दीप्ति, दुष्ट होशियार मानवाधिकार वकील विमला मैडम, वर्षों पहले दिवंगत हो चुकी स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू, जो सरोजिनी की राज़दार पत्र-मित्र हैं. मिसेज सरोजिनी नायडू को लिखे पत्रों के ज़रिए सरोजिनी की यह कहानी बताती है कि कैसे उसने ख़ुद अपनी दोस्ती, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए जूझना सीखा.
Description
बारह साल की सरोजिनी का पक्का दोस्त आमिर अब उसका पक्का दोस्त नहीं रहा. जब से वह उसकी बस्ती से बाहर रहने गया और मँहगे निजी स्कूल में पढ़ने जाने लगा तब से उसके और सरोजिनी के बीच कुछ भी तो एक-सा नहीं रह गया. तभी सरोजिनी को ‘शिक्षा का अधिकार’ क़ानून के बारे में पता चला, जिसकी मदद से उसे आमिर के स्कूल में निःशुक्ल प्रवेश मिल सकता है- या यह भी हो सकता है कि वह अपने सरकारी स्कूल में इस तरह के सुधार ला सके कि आमिर को ही वापस अपने स्कूल में बुला ले, जहाँ वे साथ-साथ पढ़ने जाते थे. अपने पक्के दोस्त से दोस्ती बचाने की इस कोशिश में सरोजिनी को कुछ ऐसे लोगों से मदद मिलती है, जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था. जैसे मज़दूर बस्ती में रहने वाली उसकी दबंग सहपाठी दीप्ति, दुष्ट होशियार मानवाधिकार वकील विमला मैडम, वर्षों पहले दिवंगत हो चुकी स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू, जो सरोजिनी की राज़दार पत्र-मित्र हैं. मिसेज सरोजिनी नायडू को लिखे पत्रों के ज़रिए सरोजिनी की यह कहानी बताती है कि कैसे उसने ख़ुद अपनी दोस्ती, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए जूझना सीखा.

Additional Information
Book Type

Paperback

Publisher Unbound Script
Language Hindi
ISBN 978-9392088032
Pages 240
Publishing Year 2022

Dear Mrs. Naidu

बारह साल की सरोजिनी का पक्का दोस्त आमिर अब उसका पक्का दोस्त नहीं रहा. जब से वह उसकी बस्ती से बाहर रहने गया और मँहगे निजी स्कूल में पढ़ने जाने लगा तब से उसके और सरोजिनी के बीच कुछ भी तो एक-सा नहीं रह गया. तभी सरोजिनी को ‘शिक्षा का अधिकार’ क़ानून के बारे में पता चला, जिसकी मदद से उसे आमिर के स्कूल में निःशुक्ल प्रवेश मिल सकता है- या यह भी हो सकता है कि वह अपने सरकारी स्कूल में इस तरह के सुधार ला सके कि आमिर को ही वापस अपने स्कूल में बुला ले, जहाँ वे साथ-साथ पढ़ने जाते थे. अपने पक्के दोस्त से दोस्ती बचाने की इस कोशिश में सरोजिनी को कुछ ऐसे लोगों से मदद मिलती है, जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था. जैसे मज़दूर बस्ती में रहने वाली उसकी दबंग सहपाठी दीप्ति, दुष्ट होशियार मानवाधिकार वकील विमला मैडम, वर्षों पहले दिवंगत हो चुकी स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू, जो सरोजिनी की राज़दार पत्र-मित्र हैं. मिसेज सरोजिनी नायडू को लिखे पत्रों के ज़रिए सरोजिनी की यह कहानी बताती है कि कैसे उसने ख़ुद अपनी दोस्ती, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए जूझना सीखा.