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CHINHAT 1857 : SANGHARSH KI GOURAV GATHA

RAJGOPAL SINGH VERMA

Rs. 325

About the Book:चिनहट का युद्ध अचानक नहीं हो गया था। चिनहट के युद्ध से कई बातें और महत्त्वपूर्ण रूप से उभरकर आई थी। स्थानीय लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और संस्कारों के अनुरूप सिद्ध कर दिखाया था कि वे किसी भी आक्रान्ता के विरुद्ध जी-जान से लड़ने को तैयार हैं।About... Read More

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About the Book:
चिनहट का युद्ध अचानक नहीं हो गया था। चिनहट के युद्ध से कई बातें और महत्त्वपूर्ण रूप से उभरकर आई थी। स्थानीय लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और संस्कारों के अनुरूप सिद्ध कर दिखाया था कि वे किसी भी आक्रान्ता के विरुद्ध जी-जान से लड़ने को तैयार हैं।

About the Author:
पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर। केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में प्रकाशन, प्रचार और जनसम्पर्क के क्षेत्र में जिम्मेदार पदों पर कार्य। कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का स्वतन्त्र सम्पादन।
Description

About the Book:
चिनहट का युद्ध अचानक नहीं हो गया था। चिनहट के युद्ध से कई बातें और महत्त्वपूर्ण रूप से उभरकर आई थी। स्थानीय लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और संस्कारों के अनुरूप सिद्ध कर दिखाया था कि वे किसी भी आक्रान्ता के विरुद्ध जी-जान से लड़ने को तैयार हैं।

About the Author:
पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर। केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में प्रकाशन, प्रचार और जनसम्पर्क के क्षेत्र में जिम्मेदार पदों पर कार्य। कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का स्वतन्त्र सम्पादन।

Additional Information
Title

Default title

Publisher Setu Prakashan Pvt. Ltd.
Language Hindi
ISBN 9788196103408
Pages 232
Publishing Year 2023

CHINHAT 1857 : SANGHARSH KI GOURAV GATHA

About the Book:
चिनहट का युद्ध अचानक नहीं हो गया था। चिनहट के युद्ध से कई बातें और महत्त्वपूर्ण रूप से उभरकर आई थी। स्थानीय लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और संस्कारों के अनुरूप सिद्ध कर दिखाया था कि वे किसी भी आक्रान्ता के विरुद्ध जी-जान से लड़ने को तैयार हैं।

About the Author:
पत्रकारिता तथा इतिहास में स्नातकोत्तर। केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में प्रकाशन, प्रचार और जनसम्पर्क के क्षेत्र में जिम्मेदार पदों पर कार्य। कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश सरकार की साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का स्वतन्त्र सम्पादन।