Chhoti-Chhoti Baatein
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Author | Mithilesh Baria |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351868392 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.267 kg |
Edition | 1 |
Chhoti-Chhoti Baatein
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जिनकी जेब में सिक्के थे, वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ...जिनकी जेब में नोट थे, वो छत तलाशते रहे ...ये लाइनें जब लिखी थीं, तब जानता नहीं था कि इतनी पसंद की जाएँगी कि सोशल मीडिया के ज़रिए हर मोबाइल तक पहुँच जाएँगी।मैंने सोशल साइट ट्विटर का हाथ तब थामा था, जब ज़िंदगी में बहुत कुछ पीछे छूट गया था, खैर जाने दीजिए, वो फिर कभी। लेकिन ट्विटर पर लिखने में एक चुनौती थी, शब्दों की बंदिश। बड़ी-बड़ी बातों को छोटी-छोटी बातों में कहना पड़ता है। ये दायरे में रहने की चुनौती शायद एक वरदान ही थी। कभी ज़िंदगी की पेचीदगियों पर, कभी बच्चों की मासूमियतों पर, कभी रिश्तों की बारीकियों पर, कभी प्यार की उलझनों पर, कभी देश के बनते-बिगड़ते हालातों पर, कभी गाँव-शहर के बीच में धुँधले होते फर्क पर, सब 'छोटी-छोटी बातों' में।सोशल मीडिया की पहुँच बहुत गहरी होती है, ये समझ आ चुका था। लोगों ने खूब सराहा और उत्साह बढ़ाया, व़क्त के साथ एक पहचान भी मिल गई, उस पहचान का नाम था— #mbaria.#mbaria टैग से ट्विटर पर अब तक करीब 2500 पंक्तियाँ जमा हो चुकी हैं, ये किताब उसमें से कुछ बेहतरीन छाँटकर आपके सामने लाने की एक कोशिश है। अपनी पसंद की 500 छोटी-छोटी बातें अब आपको सौंप दी हैं, इस उम्मीद के साथ कि इस किताब को भी आपका भरपूर प्यार मिलेगा।''लफ्ज़ों की कीमत खयाल बढ़ाते हैं...कुछ बेहद अनमोल खयाल बेशकीमती लफ्ज़ों में पिरोये हैं मिथिलेश बारिया ने अपनी इस किताब में।''—आर.जे. सयेमा, रेडियो मिर्ची 98.3 एफएम''मैं यह जानकर अभिभूत हूँ कि मिथिलेश की 'छोटी-छोटी बातें' नामक पुस्तक प्रकाशित हो रही है। मैं काफी लंबे समय से मिथिलेश के ट्वीट पढ़कर आनंद ले रहा हूँ। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।''—न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू''मुझे मिथिलेश के हर लफ्ज़ से मिट्टी की सोंधी खुशबू आती है, जो हमारे व्यक्तित्व से जुड़ी हुई है। उन बुज़ुर्गों की महक आती है, जिन्होंने अजल से बच्चों को सही और गलत की सीख दी है। उन बचपन के खिलौनों की आवाज आती है, जिन्हें हम घर के किसी कोने में रखकर भूल गए और उन उसूलों की बातें याद आती हैं, जिनके ऊपर चलना मुश्किल होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं। मिथिलेश के साथ मेरी दुआ हमेशा रहेगी।''—राना सफवी''ये जो सोचते हैं, वो सोचकर नहीं सोचते। ये जो लिखते हैं, उन्हें पढ़ने के बाद बाकी सोचते हैं।''—यशवंत व्यास______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम छोटी-छोटी बातें — Pgs. 91. तुम — Pgs. 132. ज़िंदगी — Pgs. 313. मोहबत — Pgs. 474. घर — Pgs. 595. बच्चे — Pgs. 736. गरीब — Pgs. 877. रात — Pgs. 1018. लज़...किताब...कागज़...पन्ने... 1159. मैं — Pgs. 13510. देश — Pgs. 14711. माँ — Pgs. 15512. आँखें — Pgs. 16313. दौलत — Pgs. 16914. मज़दूर — Pgs. 17715. दतर — Pgs. 18516. रास्ता — Pgs. 19917. याद — Pgs. 20718. मज़हब — Pgs. 21719. गाँव...खेत...पेड़... 225
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