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CHHOOTI CIGARETTE

RAVINDRA KALIA

Rs. 275

About the Book:रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ... Read More

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About the Book:
रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ जले तो कभी उँगलियाँ, कभी दृ जली तो कभी बिस्तर लेकिन छूटी वह तब जब शरीर ने बगावत करनी शुरू की।

About the Author:
जन्म; 11 नवम्बर 1938 को जालन्धर, पंजाब में हुआ। सठोत्तरी पीढ़ी में रवीन्द्र कालिया की महत्त्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका रही है। आपकी ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार, संस्मरणकार और कुशल सम्पादक के रूप में रही है।
Description

About the Book:
रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ जले तो कभी उँगलियाँ, कभी दृ जली तो कभी बिस्तर लेकिन छूटी वह तब जब शरीर ने बगावत करनी शुरू की।

About the Author:
जन्म; 11 नवम्बर 1938 को जालन्धर, पंजाब में हुआ। सठोत्तरी पीढ़ी में रवीन्द्र कालिया की महत्त्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका रही है। आपकी ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार, संस्मरणकार और कुशल सम्पादक के रूप में रही है।

Additional Information
Title

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Publisher Setu Prakashan Pvt. Ltd.
Language Hindi
ISBN 9788196213824
Pages 176
Publishing Year 2023

CHHOOTI CIGARETTE

About the Book:
रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ जले तो कभी उँगलियाँ, कभी दृ जली तो कभी बिस्तर लेकिन छूटी वह तब जब शरीर ने बगावत करनी शुरू की।

About the Author:
जन्म; 11 नवम्बर 1938 को जालन्धर, पंजाब में हुआ। सठोत्तरी पीढ़ी में रवीन्द्र कालिया की महत्त्वपूर्ण रचनात्मक भूमिका रही है। आपकी ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार, संस्मरणकार और कुशल सम्पादक के रूप में रही है।