bharatiya Prabandhan Paddhati
Item Weight | 250GM |
ISBN | 978-8181438683 |
Author | Dr. Pramod Kumar Agrawal & Urvashi Agrawal |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 86 |
Book Type | Hardbound |
Dimensions | 5.30"x8.50" |
Publishing year | 2008 |
Edition | 1st |

bharatiya Prabandhan Paddhati
भारतीय प्रबन्धन पद्धति' में समृद्ध भारतीय संस्कृति की विचारधाराओं का आधुनिक प्रबन्धन की धारणाओं के साथ सामंजस्य प्रस्तुत किया गया है। वैदिक समय से ले कर मध्ययुगीन, आधुनिक तथा अधुनातन भारत में प्रचलित प्रबन्धन प्रणालियाँ सरल और रुचिकर शैली में व्यक्त की गयी हैं।
आधुनिक प्रबन्धन के गुरु प्रोफेसर पीटर ड्रकर ने विश्वास प्रकट किया है कि सूर्य पूर्व से उदय होगा- शायद चीन या भारत से ।
हमें विश्वास है कि सूर्य का भारत में उदय होगा। इतिहास दुहराता है कि प्राचीन काल में भारत सभी क्षेत्रों में आगे था। वर्तमान काल में भी प्रबन्ध के क्षेत्र में भी भारत अग्रणी ही रहेगा। आवश्यकता है कि भारतीय प्रबन्धक उठें, सभी की आशाओं पर खरे उतरें तथा विश्वस्तरीय भारतीय प्रबन्धक बनें।
भारत के पीछे एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जो हमें सदैव अन्धकार में भी प्रकाश प्रदान करती है। वह हमें सदियों के उतार-चढ़ाव में भी जीवित रखे हुए है। इसलिए हमें सर्वोत्तम भारतीय विचारों का सार निकालने तथा उन्हें अपने संगठनों या इकाइयों में कार्यान्वित करने से नहीं कतराना चाहिए। भीष्म ने महाभारत में युधिष्ठिर को कर्म का महत्व बताते हुए कहा - "कर्म तथा भाग्य दोनों समान हैं।"
इस पुस्तक में प्रस्तुत अवधारणाएँ भारत में कार्यरत प्रत्येक प्रबंधक के लिए अति उपयोगी होंगी।
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