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Bhaag Milkha Bhaag
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मेरे लिए वे (मिल्खा सिंह) हमेशा एक प्रेरणा थे, हैं, और रहेंगे।—राकेश ओमप्रकाश मेहरामिल्खा सिंह का जीवन दौड़, दौड़, और दौड़ से ही भरा रहा है। बँटवारे के समय मौत से बाल-बाल बचकर निकलनेवाले एक बालक ने एक युवा सैनिक रंगरूट तक का सफर तय किया और अपनी पहली तेज रफ्तार दौड़ एक दूध से भरे गिलास के लिए लगाई थी। अपनी इस पहली दौड़ के बाद मिल्खा सिंह संयोग से एथलीट बन गए और उसके बाद एक किंवदंती के रूप में हमारे सामने हैं।इस शानदार और प्रेरक आत्मकथा में मिल्खा सिंह ने भारत के लिए राष्‍ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण जीतने, पाकिस्तान में 'उड़नसिख' के रूप में स्वागत की अपार खुशी और ओलंपिक खेलों में एक चूक से मिली असफलता जैसे कई अनुभव बाँटे हैं।खेल को ही जीवन माननेवाले मिल्खा सिंह ने खेलों के तौर-तरीकों और नियम-कायदों से कभी भ्रमित नहीं हुए। 'भाग, मिल्खा भाग' एक बेहद सशक्‍त और पाठकों को बाँधे रखनेवाली पुस्तक है, जिसमें एक ऐसे शरणार्थी की जीवन-गाथा है जो भारतीय खेलों की महानतम हस्तियों में शुमार है।जीवन की कठिनाइयों और हालात से कभी न हारनेवाले असाधारण व्यक्‍ति की प्रेरणादायक जीवनगाथा। ______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमणिकाभूमिका — Pgs. 7मेरे पिता मेरे आदर्श — Pgs. 9आमुख — Pgs. 131. अविभाजित भारत में जीवन — Pgs. 172. भाग मिल्खा, भाग — Pgs. 233. जेल के दस दिन — Pgs. 304. सेना में मेरा जीवन — Pgs. 385. यह खेल नहीं था — Pgs. 466. भाँगड़ा से बॉलरूम डांस तक — Pgs. 527. मेरा ईश्वर, मेरा धर्म, मेरा परम प्रिय — Pgs. 608. स्वर्ण पदक के लिए जाना — Pgs. 659. पं. नेहरू से मुलाकात — Pgs. 7610. कम ऑन, सिंह — Pgs. 8011. लाइंग सिख — Pgs. 8812. पश्चिम की यात्रा — Pgs. 9413. बहुत नजदीक, फिर भी बहुत दूर — Pgs. 10114. खेल से प्रशासन की ओर — Pgs. 10715. निम्मी — Pgs. 11416. उन्मुत पंछी और विषादपूर्ण वृक्ष — Pgs. 12017. मेरे ताज में रत्न — Pgs. 12518. मेरा स्वप्न — Pgs. 13019. एक बार जो खिलाड़ी बना, वह सदा के लिए बन गया — Pgs. 13520. खेल की राजनीति — Pgs. 144उपसंहार — Pgs. 152
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