Look Inside
Banswara Rajya ka Itihas
share-Icon
Banswara Rajya ka Itihas

Banswara Rajya ka Itihas

Regular price ₹ 400
Sale price ₹ 400 Regular price
Unit price
Save
Size guide
Icon

Pay On Delivery Available

Load-icon

Rekhta Certified

master-icon

Dedicated Support

Banswara Rajya ka Itihas

Banswara Rajya ka Itihas

Cash-On-Delivery

Cash On Delivery available

Rekhta-Certified

Plus (F-Assured)

7-Days-Replacement

7 Day Replacement

Product description
Shipping & Return
Offers & Coupons
Read Sample
Product description
बांसवाड़ा राज्य का इतिहास : दक्षिणी राजस्थान के पहाड़ी भू-भाग में स्थित बांसवाड़ा राज्य का देश के मध्यकालीन इतिहास में उत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तेरहवीं शताब्दी के मध्य मेवाड़ के अधिपति महाराणा सामंत सिंह ने वागड़ प्रदेश में गुहिलवंशी राज्य की स्थापना की थी। संवत् 1518 के आस-पास अनेक घटनाओं के परिणामस्वरूप बांसवाड़ा राज्य का स्वतंत्र अस्तित्व बना किन्तु अनेक कारणों से उसकी ऐतिहासिक सामग्री की प्रामाणिक खोज नहीं की गई। आवागमन की असुविधाओं एवं राजनीतिक हलचलों के प्रभाववश इस राज्य का इतिहास अनेक वर्षों तक अंधकारग्रस्त रहा। इस राज्य के शासकों तथा निवासियों ने भी उसे प्रकाश में लाने का कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं किया। ‘वीर विनोद’ में उसका सामान्य उल्लेख अवश्य हुआ है किन्तु ज्ञात तथा अज्ञात सामग्री के यत्र-तत्र बिखरे हुए होने के कारण उसका क्रमबद्ध इतिहास नहीं लिखा गया।प्रस्तुत ग्रंथ बांसवाड़ा राज्य के गौरवशाली इतिहास-लेखन की दिशा में एक मौलिक प्रयास है। इसके विद्वान् लेखक ने उस राज्य की भौगोलिक स्थिति का विस्तृत विवरण देने के पश्चात् सर्वप्रथम उस पर गुहिलवंश के अधिकार के पूर्व की परिस्थितियों का सामान्य लेखा-जोखा किया है। तदुपरांत सामंतसिंह के शासनकाल से लेकर आज तक के प्रमुख घटनाक्रमों के संदर्भ में महारावल जगमाल, समरसिंह, कुशलसिं���, उम्मेदसिंह, भवानीसिंह और महारावल सर पृथ्वीसिंह के शासनकाल की उपलब्धियों की प्रामाणिक सामग्री जुटाई गई है। ऐसा करते समय लेखक के पुरातत्व विज्ञान से सम्बन्धित शिलालेखों, ताम्रपत्रों, ऐतिहासिक ख्यातों, प्राचीन वंशावलियों, दानपत्रों, बहीखातों, प्राचीन राजकीय सनदों, फरमानों, बड़वे भाटों, राणीमंगों एवम् अन्य व्यक्तियों द्वारा लिखित दस्तावेजों का भी प्रचुर आधार लिया है। संस्कृत, हिन्दी, फारसी, उर्दू और अंग्रेजी आदि विभिन्न भाषाओं में लिखित पुस्तकें भी इस कार्य के सम्पादन में उसके लिए सहायक सिद्ध हुई हैं। ग्रंथ का परिशिष्ट मुख्यतः गुहिल से लगाकर वागड़ प्रदेश के शासकों की क्रमबद्ध वंशावली के साथ-साथ उन विक्रम संवतों से भी उपवृंहित है, जिनमें इस राज्य की प्रमुख घटनाएँ घटित हुई थीं। परिशिष्ट का अंतिम भाग तथा उसकी ‘अनुक्रमणिका’ लेखक के शोधपूर्ण अध्यवसाय तथा इतिहासप्रेम के द्योतक कहे जा सकते हैं। कुल मिलाकर यह ग्रंथ सभी दृष्टियों से संग्रहणीय, पठनीय एवं ऐतिहासिक तथ्यों के ‘विचारणीय संदर्भों से ओत-प्रोत’ है, जिसमें लेखक की शोधप्रज्ञा प्रदर्शित हुई है।RelatedTRUE
Shipping & Return
  • Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
  • Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
  • Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
  • Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.

Offers & Coupons

Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.


You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.

Read Sample

Recently Viewed Products