...Aur Vigyan Mar Gaya
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Author | Dr. Achhelal Pasi |
Language | Hindi |
Publisher | Rajmangal Publishers |
Pages | 32 |
ISBN | 978-9394920606 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
Dimensions | 28*18*4 |
Edition | 1st |
...Aur Vigyan Mar Gaya
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"कोरोना" महामारी इस सदी कि सबसे बड़ी त्रासदी रही है। इस महामारी के दौरान बहुत से लोगों ने अपनों को तड़पते और मरते देखा है। इतिहास गवाह है कि दुनिया में जब भी कोई भी महामारी या परेशानी विकराल रुप ले लेती है तो सारे इंसान एकजुट होकर अपनी इंसानियत ईमान और विज्ञान के भरोसे उसका मुकाबला करते हैं। लेकिन इस "कोरोना" महामारी के दौरान "अरल" ने इंसानों के साथसाथ इंसानियत ईमान और विज्ञान को भी मरते हुए देखा है। किसी को मरता हुआ देख चाहते हुए भी कुछ ना कर पाने की असहाय और दयनीय स्थिति बहुत ही हृदयविदारक होती है। “…और विज्ञान मर गया" इसी हृदयविदारक असहाय स्थिति का मार्मिक संकलन है।//इस कविता संग्रह के लेखक डॉ. अच्छेलाल पासी (MBBS MD) जी एक सार्वजनिक आरोग्य विशेषज्ञ (ublic Health Secialist) हैं और भारत सरकार के अधीन कार्यरत हैं। “डॉ अच्छेलाल पासी” जी का जन्म पालन पोषण एवं शिक्षादिक्षा मुंबई &nbs; महाराष्ट्र में हुआ है। आप ने एम. बी. बी. एस. और एम. डी. की शिक्षा सेठ जी. एस. मेडिकल कॉलेज एंड के. ई. एम. हास्पिटल मुंबई से पूरी की है। आप ने स्वास्थ्य सेवाओं के साथसाथ हास्पिटल एवं मानव संसाधन प्रबंधन में भी डिप्लोमा किया है। आप को WHO UNICEF और ICMR के साथ भी काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप एक निष्ठावान कर्मचारी एवं मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर एक कुशल व्यवस्थापक होने के साथसाथ एक कोमल हृदय एवं कवि भी हैं।/
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