BackBack

Ashtakamal - Maatra Drishta

Dasi kamali

Rs. 199 Rs. 198

“जब एक फूल  अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक  स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह... Read More

Reviews

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
readsample_tab

“जब एक फूल  अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक  स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह लीन हो जाओ।”

Description

“जब एक फूल  अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक  स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह लीन हो जाओ।”

Additional Information
Title

Default title

Publisher Rajmangal Prakashan
Language Hindi
ISBN 9788196299552
Pages 68
Publishing Year 2023

Ashtakamal - Maatra Drishta

“जब एक फूल  अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक  स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह लीन हो जाओ।”