क्रम
एक
1. अन्तिम ऊँचाई .................................. 11
2. समुद्र की मछली ............................... 13
3. आपद्धर्म ....................................... 14
4. विकल्प-1 ...................................... 16
5. विकल्प-2 ...................................... 17
6. जब आदमी आदमी नहीं रह पाता .................... 18
7. तब भी कुछ नहीं हुआ ........................... 19
8. शक ............................................ 20
9. बँधा शिकार ................................... 21
10. नयी कक्षा में ................................. 22
11. अनिश्चय ....................................... 23
12. एक अजीब दिन ................................. 25
13. अब वो नहीं रहे ................................ 26
14. एक अदद कविता ................................. 27
15. इन्तिज़ाम ...................................... 28
16. विश्वासघात ................................... 30
17. ऊँचा उठा सिर ................................. 32
18. पूरे की तलाश में .............................. 33
19. आदमी अध्यवसायी था ............................ 34
20. शनाख़्त के सिलसिले ........................... 35
दो
21.अपने बजाय ........................................... 37
22.मतलब का रिश्ता .................................... 39
23.अवकाशप्राप्त समय में .......................... 41
24.तुम मेरे हर तरफ़ .................................... 42
25.सतहें ................................................... 43
26.बाक़ी कविता .......................................... 44
चलती हुई सड़कें .................................... 47
लगभग दस बजे रोज़ ............................... 49
विभक्त व्यक्तित्व ................................. 51
रेखा के दोनों ओर ................................. 52
लखनऊ ................................................. 54
चिकित्सा ............................................... 56
चील ...................................................... 58
हिसाब और किताब .................................. 59
चीजें और आदमी ..................................... 61
अधूरे समझौते ...................................... 62
अनुचित लगता है अब .............................. 63
ज़रूरतों के नाम पर ................................. 64
लाउडस्पीकर ......................................... 65
ताला ..................................................... 66
आसन्न संकट में ................................... 67
खेल ....................................................... 69
गाय ....................................................... 71
एक मौसम .............................................. 72
एक हरा जंगल ........................................ 73
अकेली ख़ुशी ......................................... 74
दूर तक ............................................... 75
डूबते देखा समय को ............................ 76
पहले भी आया हूँ ................................. 77
श्रावस्ती ............................................... 78
मस्तकविहीन बुद्ध प्रतिमा ...................... 79
कोणार्क .............................................. 80
रास्ते (फतेहपुर सीकरी) ........................ 81
अनात्मा देह (फतेहपुर सीकरी) .............. 82
सोने का नगर ........................................ 83
तीन
दिल्ली की तरफ़ ..................................... 87
क़ुतुबमीनार ......................................... 88
इब्नबतूता ............................................ 89
आज भी ............................................... 91
फ़ौजी तैयारी ......................................... 92
बर्बरों का आगमन ................................. 93
वियतनाम ............................................ 94
काले लोग ............................................. 95
आज का ज़माना .................................... 97
लापता का हुलिया ................................ 98
भागते हुए ............................................ 99
काफ़ी बाद ........................................... 101
सन्नाटा या शोर .................................... 102
वह कभी नहीं सोया ............................... 104
उस टीले तक ......................................... 106
पूरा जंगल ............................................ 108
अन्तिम ऊँचाई
कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब
अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं,
हमारे चारों ओर नहीं ।
कितना आसान होता चलते चले जाना
यदि केवल हम चलते होते
बाक़ी सब रुका होता ।
मैंने अक्सर इस ऊलजलूल दुनिया को
दस सिरों से सोचने और बीस हाथों से पाने की कोशिश में
अपने लिए बेहद मुश्किल बना लिया है।
शुरू-शुरू में सब यही चाहते हैं
कि सब कुछ शुरू से शुरू हो,
लेकिन अन्त तक पहुँचते-पहुँचते हिम्मत हार जाते हैं।
हमें कोई दिलचस्पी नहीं रहती
कि वह सब कैसे समाप्त होता है
जो इतनी धूमधाम से शुरू हुआ था
हमारे चाहने पर।
दुर्गम वनों और ऊँचे पर्वतों को जीतते हुए
जब तुम अन्तिम ऊँचाई को भी जीत लोगे-
जब तुम्हें लगेगा कि कोई अन्तर नहीं बचा अब
पूरे की तलाश में
तुम जो कभी अपने बायें हाथ की तरह बेवकूफ़ हो
और कभी अपने दाहिने हाथ की तरह चालाक ।
क्यों एक-दूसरे को एक-दूसरे के ख़िलाफ़
हाथों या हथियारों की तरह उठाकर
फिर वहीं के वहीं जा पहुँचते हो
जहाँ तुम पहले ही से थे?
एक से दूसरी करवट बदलते हुए
-मेरे सोये हाथ
मैंने अक्सर अपने पीछे सुनी है
किसी दरवाज़े के बन्द होने की आवाज़ । और फिर
बहुत-सी आवाज़ों के एक साथ बन्द हो जाने की
ख़ामोशी
ख़ामोशी जिसकी अपनी ज़बान होती है
और भयानकता
जैसे एक मटमैली जिल्दोंवाली किताब
अचानक एक रात कहीं से खुल जाय
और बीच में दबी मिले एक कटी हुई जीभ
और वह निकल पड़े
अपने बाक़ी हिस्सों की तलाश में।