Apane Parivar Ko Khush Kaise Rakhen
Item Weight | 535 Grams |
ISBN | 978-8173156939 |
Author | Vijay Batra , Pramod Batra , Divya Arora |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2016 |
Edition | 1st |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Apane Parivar Ko Khush Kaise Rakhen
एक परिवार अपने सदस्यों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। पति, पत्नी, पुत्री, पुत्र, दादा-दादी, चाचा-चाची और नाती-पोते—इन सबकी एक परिवार में अपनी-अपनी जरूरतें, उत्तरदायित्व, विचार और कार्य होते हैं। सभी के अपने-अपने गुण-अवगुण, कमजोरियाँ, व्यक्तिगत लक्षण और व्यक्तित्व होते हैं। इन सबमें परस्पर संवाद द्वारा एक-दूसरे से मतभेद, संघर्ष भी हो सकता है या फिर खुशी की प्राप्ति और प्रत्येक सदस्य के प्रति कुछ अच्छा करने की सद्भावना भी आ सकती है। पुस्तक में सभी के लिए कुछ-न-कुछ है—बड़ों के लिए और बच्चों के लिए, नवविवाहितों के लिए और विवाहितों के लिए, पति व पत्नियों के लिए, पुत्र व पुत्रियों के लिए, ससुरालवालों के लिए, दादी-दादा व नाती-पोतों के लिए भी संदेश हैं। इसलिए इस पुस्तक का कोई भी भाग परिवार के किसी भी सदस्य के लिए अप्रासंगिक नहीं है तथा पाठक चाहे परिवार में किसी भी स्थिति में हों, इस पुस्तक का पूरा लाभ उठाने के लिए इसके प्रत्येक भाग को पढ़ें, जिससे कि परिवार में अपनी स्थि��ि को समझ सकें।अगर हम आनंददायक विचारों को सोचेंगे तो खुश होंगे; अगर हम दयनीय विचारों को सोचेंगे तो दयनीय होंगे। अगर हम कायरतापूर्ण विचारों को सोचेंगे तो कायर बन जाएँगे। खुशी जीवनदायी फसल है, तनाव जंगली घास के समान है। आप किसे चुनते हैं?
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