Amjhera Rajya ka Vrihat Iitihas
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Item Weight | 400 Grams |
ISBN | NA |
Author | Raghunath Singh Sandla |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthagar |
Pages | NA |
Book Type | Paperback |

Amjhera Rajya ka Vrihat Iitihas
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यह ‘अमझेरा राज्य का वृहत् इतिहास’ पूर्व में प्रकाशित ‘अमझेरा राज्य का इतिहास’ का दूसरा विस्तृत रूप है। यह एक ऐसी कहानी है, जो जोधपुर-मारवाड़ के 19वें राठौड़ शासक राव म���लदेव (ईस्वी सन् 1532-1562) द्वारा अपने ज्येष्ठ कुमार राम को ईस्वी सन् 1547 में उत्तराधिकार से वंचित कर देश निकाला से प्रारम्भ होकर राम के वंशजों का मालवा में पदार्पण कर पहले चोली-महेश्वर में विशाल राज्य की स्थापना और फिर राव जगन्नाथ द्वारा ईस्वी सन् 1604 में अमझेरा राज्य स्थापित करने से अंतिम शासक राव बख्तावरसिंह (ईस्वी सन् 1831-1558 ई.) के, भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 ई. में अन्य रजवाड़ों की तुलना में निःस्वार्थ भाव से कूद कर अपने प्राण, परिवार और प्रभुत्व का मातृवेदी पर बलिदान करने तक चलती है।पाठकों के लाभार्थ इस नये संस्करण में दो नए अध्याय- 1. मारवाड़ के नरेश: संक्षिप्त ऐतिहासिक परिचय, 2. मालवा के राठौड़ राजवंश का ऐतिहासिक सर्वेक्षण लिखकर सम्मिलित कर दिये गए हैं। अमझेरा के शासक सूर्यवंश में क्षत्रिय राठौड़ राजपूत रहे हैं। राठौड़ राजवंश की 36 राजकुलों में उत्पत्ति, अयोध्या से कर्नाटक, दक्षिण में उत्तर, उत्तर में पश्चिम में मारवाड़ और मारवाड़ से मालवा तक के सफर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमियां इस पुस्तक में है। अमझेरा राजवंश की संतानों, उनके विवाह सम्बन्धों की जानकारी के लिए गुरू ग्रंथ सं. 6, श्री नटनागर शोध संस्थान सीतामऊ और 1857 ई. की क्रान्ति के पश्चात्, तत्कालीन ग्वालियर राज्य में समाहित, अमझेरा राजवंश के भाई-बंधुओं की जागीरों की स्थिति जानने के लिए इस पुस्तक में तारीख (जागीरदान) ग्वालियर, सन् 1913 ई. के अंश पढ़ें। मारवाड़ व अमझेरा के नरेशों और अमझेरा के राजवंशियों की ताजा वंशावलियाँ भी इस पुस्तक में हैं।RelatedTRUE
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