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About Book जमाल एहसानी की शाइरी परम्परा के विरुद्ध और परम्परा से दूर भागती हुई आधुनिकतावादी शाइरी के बीच एक चीज़ है जो चौंकाती है और अपने कुछ लम्हों में हैरान करती है. उनकी इस अनोखी काव्य-शैली ने उन्हें कम वक़्त में काफ़ी लोकप्रियता दिलाई| "अकेलेपन की इन्तिहा" जमाल एहसानी... Read More
About Book
जमाल एहसानी की शाइरी परम्परा के विरुद्ध और परम्परा से दूर भागती हुई आधुनिकतावादी शाइरी के बीच एक चीज़ है जो चौंकाती है और अपने कुछ लम्हों में हैरान करती है. उनकी इस अनोखी काव्य-शैली ने उन्हें कम वक़्त में काफ़ी लोकप्रियता दिलाई| "अकेलेपन की इन्तिहा" जमाल एहसानी की चुनिन्दा शायरी का संकलन है जो देवनागरी लिपि में प्रकाशित हुई है और इसे पाठकों का भरपूर प्यार मिला है|
About Author
जमाल एहसानी का जन्म 1951 में सरगोधा में हुआ। उनके माता पिता 1947 में पानीपत से हिजरत कर के सरगोधा आए। जमाल एहसानी ने बचपन यहीं गुज़ारा। जब होश सँभाला तो हालात और आर्थिक तंगी से मज्बूर होकर कराची में आबाद हो गए। उनके दो मज्मूए’ ‘सितारा-ए-सफ़र’ और ‘रात के जागे हुए’ ख़ुद उनकी ज़िन्दगी में प्रकाशित हुए। जबकि तीसरा मज्मूआ’ ‘तारे को महताब किया’ उनके इन्तिक़ाल के फ़ौरन बा’द छपा। जमाल एहसानी का देहांत 1998 को हुआ।