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Aganhindola

Ushakiran Khan

Rs. 295

अगनहिंडोला सामाजिक सरोकारों की कहानियाँ लिखनेवाली लेखिका उषाकिरण खान ने साहित्येतिहास के गलियारे में लगातार झाँकने की कोशिश की है। शेरशाह उसी की एक कड़ी है। ‘अगनहिंडोला’ उपन्यास शेरशाह की जीवनी है। दिल्ली के तख्त पर सिर्फ पाँच साल काबिज होने वाले सुलतान ने जितने प्रशासनिक एवं लोकहित के कार्य... Read More

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Description
अगनहिंडोला सामाजिक सरोकारों की कहानियाँ लिखनेवाली लेखिका उषाकिरण खान ने साहित्येतिहास के गलियारे में लगातार झाँकने की कोशिश की है। शेरशाह उसी की एक कड़ी है। ‘अगनहिंडोला’ उपन्यास शेरशाह की जीवनी है। दिल्ली के तख्त पर सिर्फ पाँच साल काबिज होने वाले सुलतान ने जितने प्रशासनिक एवं लोकहित के कार्य किये कोई दूसरा सालोंसाल हुकूमत करके भी नहीं कर सकता। उसी रूखे-सूखे शहंशाह की जाती जिन्दगी के लम्हे जो बेहद तकलीफों से भरे हैं, जहाँ इनसानी जज़्बा भरा हुआ है, जिसे अपने विशदज्ञान के उपयोग न कर पाने का मलाल है, जिसके प्यार का सोता बहता है-की कथा ‘अगनहिंडोला’ में कहती हैं उषाकिरण खान। हिन्दुस्तान की तारीख में खास जगह रखनेवाला शेरशाह बेमौके मौत के आगोश में चला गया। शेरशाह की जिश्न्दगी में ‘इश्क हकीकी’ भी है यही वजह है कि मलिक मुहम्मद जायसी सरीखे कवि से इतना अधिक लगाव है। स्वयं की परिपाटी के अनुसार पारदर्शी भाषा का सौन्दर्य बरकरार रखा है लेखिका ने। उपन्यास में कहीं कठिन अबूझ प्रयोग नहीं है। यह उपन्यास आपको उषाकिरण खान के लेखन के नये अनुभव संसार में ले जायेगा।
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Paperback

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Aganhindola

अगनहिंडोला सामाजिक सरोकारों की कहानियाँ लिखनेवाली लेखिका उषाकिरण खान ने साहित्येतिहास के गलियारे में लगातार झाँकने की कोशिश की है। शेरशाह उसी की एक कड़ी है। ‘अगनहिंडोला’ उपन्यास शेरशाह की जीवनी है। दिल्ली के तख्त पर सिर्फ पाँच साल काबिज होने वाले सुलतान ने जितने प्रशासनिक एवं लोकहित के कार्य किये कोई दूसरा सालोंसाल हुकूमत करके भी नहीं कर सकता। उसी रूखे-सूखे शहंशाह की जाती जिन्दगी के लम्हे जो बेहद तकलीफों से भरे हैं, जहाँ इनसानी जज़्बा भरा हुआ है, जिसे अपने विशदज्ञान के उपयोग न कर पाने का मलाल है, जिसके प्यार का सोता बहता है-की कथा ‘अगनहिंडोला’ में कहती हैं उषाकिरण खान। हिन्दुस्तान की तारीख में खास जगह रखनेवाला शेरशाह बेमौके मौत के आगोश में चला गया। शेरशाह की जिश्न्दगी में ‘इश्क हकीकी’ भी है यही वजह है कि मलिक मुहम्मद जायसी सरीखे कवि से इतना अधिक लगाव है। स्वयं की परिपाटी के अनुसार पारदर्शी भाषा का सौन्दर्य बरकरार रखा है लेखिका ने। उपन्यास में कहीं कठिन अबूझ प्रयोग नहीं है। यह उपन्यास आपको उषाकिरण खान के लेखन के नये अनुभव संसार में ले जायेगा।