About the Book:
इस पुस्तक का सरोकार राजनीतिक दर्शन के क्षेत्र में ज्ञान के वि-उपनिवेशिकरण और वैचारिक स्वराज से है। यह पुस्तक पश्चिम से मिले दर्शन को सिद्धान्त-निर्माण के एकमात्र स्रोत के रूप में स्वीकार करने के बजाय अपने तजुर्बों को प्राथमिकता देने पर जोर देती है।
About the Author:आदित्य निगम लम्बे समय तक सेण्टर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सी.एस.डी.एस.), दिल्ली से जुड़े थे और एक राजनीतिक सिद्धान्तकार होने के अलावा संस्थान के भारतीय भाषा कार्यक्रम के सदस्य व उसके द्वारा प्रकाशित पत्रिका प्रतिमान के सम्पादक मण्डल के भी सदस्य थे।