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1920-21 Ke Asahyog Andolan Ka Itihas
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1920-21 Ke Asahyog Andolan Ka Itihas

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ेरी कलम से.... इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ ने 31 दिसम्बर, सन् 1600 में कुछ अंग्रेज व्यापारियों को एक चार्टर के माध्यम से भारत में व्यापार करने की अनुमति दी। इसके लिए कुछ व्यापारियों ने एक कम्पनी बनाई जिसका नाम उन्होंने ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ रखा। उस समय तक भारत की यात्रा का समुद्री मार्ग पुर्तगाली यात्रियों ने खोज निकाला था। उस मार्ग की जानकारी लेकर और व्यापार की तैयारी करके, इंग्लैंड से सन् 1608 में ‘हाकिंस’ नामक कप्तान ‘हेक्टर’ नाम का जलयान लेकर इंग्लैंड से भारत के लिए रवाना हुआ। जलयान गुजरात में ‘सूरत’ बन्दरगाह पर आकर रुका। इस प्रकार अंग्रेजों के पांव सर्वप्रथम ‘सूरत’ शहर की धरती पर पड़े। उस समय भी सूरत भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था। सूरत आगमन के बाद अंग्रेजों ने भारत के विभिन्न भागों में अपना आधिपत्य स्थापित करना प्रारम्भ किया और धीरे-धीरे भारत अंगे्रजों का गुलाम हो गया। 9 जनवरी, 1915 को ‘मोहनदास करमचन्द गांधी’ (महात्मा गांधी) ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देकर भारत को स्वतन्त्रा कराने के लिए अफ्रीका से भारत लौटे। गांधी के निजी सचिव महादेव देसाई भी सूरत के ही निवासी थे। महादेव देसाई अगस्त, 1917 से लेकर 15 अगस्त, 1942 तक गांधी जी के निजी सचिव रहे। 9 अगस्त, 1942 को गांधी जी ने बम्बई (अब मुम्बई) में भारत छोड़ो आन्दोलन का सूत्रापात किया। परिणामस्वरूप अंग्रेजी सत्ता ने उन्हें गिरफ्तार करके पुणे के आगा खां महल में नजरबन्द कर दिया। नजरबन्दी में सचिव महादेव देसाई भी गांधी जी के साथ थे। 15 अगस्त, 1942 को महादेव देसाई का देहान्त हो गया। गांधी जी महादेव भाई की सेवाओं से अत्यधिक प्रभावित थे। अतः उन्होंने स्वयं अपने हाथों से महादेव सरदार वल्लभभाई पट
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