फ़ेह्रिस्त
1 मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह (1565-1611)
2 वली मोहम्मद वली (1667-1707)
3 आब्रू, शाह मुबारक (1685-1733)
4 हातिम, शेख़ ज़हूरुद्दीन (1699-1783)
5 सिराज औरंगाबादी, सय्यद शाह सिराजुद्दीन हुसैनी (1712-1764)
6 सौदा, मिर्ज़ा मोहम्मद रफ़ीअ’ (1713-1781)
7 ख़्वाजा मीर दर्द (1721-1785)
8 मीर, मोहम्मद तक़ी (1722-1810)
9 क़ाएम चाँदपुरी, मोहम्मद क़यामुद्दीन (1725-1794)
10 नज़ीर अकबराबादी (1735-1830)
11 ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी (1747/51-1824)
12 जुरअत, क़लंदर बख़्श (1748-1809)
13 इन्शा, अल्लाह ख़ाँ (1752-1817)
14 चंद्रभान ‘बरहमन’ (1574-1662)
15 रंगीन, सआ’दत यार ख़ाँ (1756-1835)
16 ख़लीक़, मीर मुस्तहसन (1766-1844)
17 नुसरत लखनवी (1768-)
18 मुन्तज़िर लखनवी, मियाँ शेख़ नूरुल-इस्लाम (1768/69-1802/3)
19 ग़ज़न्फ़र, ग़ज़न्फ़र अ’ली ख़ाँ (1770/75-)
20 ज़फ़र, मीरज़ा अबुल-मज़फ़्फ़र सिराजुद्दीन, बहादुर शाह (1775-1862)
21 आतिश, ख़्वाजा हैदर अ’ली (1778-1847)
22 ग़ाफ़िल, मुनव्वर ख़ाँ (1780-1820)
23 बेगम लखनवी (1785)
24 ज़ौक़, शेख़ इब्राहीम (1790-1854)
25 मिर्ज़ा ग़ालिब (1797-1869)
26 रिन्द लखनवी (1797-1857)
27 मोमिन, ख़ाँ मोमिन (1800-1852)
28 मीर, बबर अ’ली अनीस (1803-1874)
29 जौहरख, लाला माधव राम (1810-1890)
30 बह्र, इम्दाद अ’ली (1810-1878)
31 पंडित दया शंकर नसीम (1811-1845)
32 मेह्र, मिर्ज़ा हातिम अ’ली (1815-1879)
33 निज़ाम रामपूरी, ज़करया शाह (1819-1872)
34 शोर, जार्ज पेश (1823-1894)
35 अमीर मीनाई, अमीन अहमद (1829-1900)
36 दाग़ देहलवी, नवाब मिर्ज़ा ख़ाँ (1831-1905)
37 मज्रूह, मीर मेहदी (1833-1903)
38 मुश्ताक़ देहलवी, मुन्शी बिहारी लाल (1835-1908)
39 मुश्तरी, क़मरुन जान उ’र्फ़ मंझू (1837-)
40 शीरीं, शाहजहाँ बेगम, नवाब भोपाल (1838-1930)
41 ज़र्रा, कैप्टन डॉमिंगो पॉल लीज़वा (1838-1903)
42 ज़हीर, लाला प्यारे लाल (1844/1850-1874)
43 अकबर इलाहाबादी, सय्यद अकबर हुसैन रिज़्वी (1846-1921)
44 अनवर देहलवी, सय्यद शुजाउ’द्दीन (1847-1885)
45 शो’ला, मुन्शी बनवारी लाल (1847-1903)
46 आ’शिक़ अकबराबादी, शंकर दयाल (1848-1918)
47 रियाज़ ख़ैराबादी, सय्यद रियाज़ अहमद (1853-1934)
48 सफ़ी लखनवी, सय्यद अ’ली नक़ी ज़ैदी (1862-1950)
49 साहिर, पंडित अमर नाथ मदन (1863-1942)
50 अब्र लखनवी, पंडित बिशन नारायण दर (1864-1916)
मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह
गोलकुन्ड़ा (तेलंगाना), 1565-1611
मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह उर्दू के पहले साहिब-ए-दीवान (संग्रह तय्यार करने वाले) शाइ’र हैं। वो 1580 में गोलकुंडा की क़ुतुबशाही सल्तनत के बादशाह बने।
मिरे मज़हब की बाताँ1 खोल कर अब क्या पुछेंगे कू2
हमीं जाने ऊ मज़हब ऐ रक़ीबाँ3 क्या गरज़ तुम कू4
1 बातें 2 को 3 रक़ीबों 4 को
फुलाँ1 की शाख़2 पर बैठा है भवराँ नेह3 से झुलता
भरेगा शह्द सूँ अब तो हमन4 अल्लाह जिव5 का जू
1 फूलों 2 टहनी 3 प्रेम 4 हमारा 5 दिल
अज़ल1 थे2 हम तुमन में यारी है ऐ पीर-ए-मयख़ाना3
अ’जब क्या है छुपाकर देव4 मय5 मुंज कूँ पियाली दू6
1 सृष्टि का प्रारंभ 2 से 3 मयख़ाने का मालिक 4 दे दो 5 शराब 6 दो
मु1 में यक2 बात ओ दिल में बात यक, मेरी नहीं आदत
तुमीं संग देखे अंग मेरा कि पकड़्या नेह3 के मद4 थी बू5
1 मुँह 2 एक 3 प्रेम 4 नशा 5 गंध
हमारा इ’श्क़ का मुज्मर1 सू2 सर थी रोशनी पाया
अगर3 होर4 ऊद5 अम्बर6 सूँघ कर दिमाग़ाँ7 कूँ करूँ ख़ुश्बू
1 अंगीठी 2 से 3,5,6 जिन्हें जलाने से ख़ुशबू होती है 4 और 7 दिमाग़ों
करूँ तअरीफ़ मैं किस धात1 सूँ मेव्याँ2 की रंगाँ3 का
पवन जोबन के मुल्क्या4 कूँ5 लग्या6 है मेवा रंगीं हू
1 तरह 2 मेवा 3 रंगों 4 कोंपल 5 को 6 लगा
बिहिश्ती1 मेवे अरज़ानी2 हुए हैं अब ‘मआ‘नी’ कूँ
रकीबाँ3 ऐ बुराई देख कर जाते हैं जग थी महू4
1 स्वर्ग के 2 आसानी से उपलब्ध 3 रक़ीबों 4 खोए हुए
वली मोहम्मद वली
औरंगाबाद (महाराष्ट्र), 1667-1707
दिल्ली में उर्दू शाइ’री की शुरूआ’त के लिए प्रेरणा-स्रोत बनने वाले क्लासिकी शाइ’र।
मत ग़ुस्से के शो’ले सूँ1 जलते कूँ2 जलाती जा
टुक मेह्र3 के पानी सूँ तू आग बुझाती जा
1 से 2 को 3 प्रेम
तुझ चाल की क़ीमत सूँ दिल नीं1 है मिरा वाक़िफ़2
ऐ मान भरी चंचल टुक भाव बताती जा
1 नहीं 2 अवगत, परिचित
इस रात अंधारी में मत भूल पड़ूँ तुझ सूँ
टुक पाँव के झाँझर की झंकार सुनाती जा
मुझ दिल के कबूतर कूँ बाँधा है तिरी लट ने
ये काम धरम का है टुक उसको छुड़ाती जा
तुझ मुख की परस्तिश1 में गई उ’म्र मिरी सारी
ऐ बुत की पुजनहारी टुक उस को पुजाती जा
1 पूजा
तुझ इ’श्क़ में जल जल कर सब तन कूँ किया काजल
ये रौशनी-अफ़्ज़ा1 है अँखिया को लगाती जा
1 रौशनी बढ़ाने वाला
तुझ घर की तरफ़ सुंदर आता है 'वली' दाइम1
मुश्ताक़2 दरस3 का है टुक दर्स दिखाती जा
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