Book Review: क़ौल-ए-फैसल – मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (Kaul-e-Faisal - Maulana Abul Kalam Azad)
जब मुस्लिम लीग के बड़े बड़े नेता देश की आज़ादी के ठीक पहले ज़ोर से पाकिस्तान की मांग कर रहे थे. कई मुसलमान नेता इसके विरोध में भी थे. उसी में से एक नाम है मौलाना अबुल कलाम आज़ाद. हर साल 11 नवंबर को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. शिक्षा मंत्री से पहले आज़ाद एक पत्रकार भी थे और स्वतंत्रता सेनानी भी.आज़ाद एक शानदार वक्ता थे. आज़ादी के समय बड़े मुस्लिम नामों में से एक जो बंटवारे के सख़्त खिलाफ रहे.
उन्होंने पाकिस्तान बनने से पहले ही कह दिया था कि यह देश एकजुट होकर नहीं रह पाएगा, यहां राजनेताओं की जगह सेना का शासन चलेगा, यह देश भारी कर्ज़ के बोझ तले दबा रहेगा, पड़ोसी देशों के साथ युद्ध के हालातों का सामना करेगा, यहां अमीर-व्यवसायी वर्ग राष्ट्रीय सम्पत्ति का सुख लेंगे और अंतरराष्ट्रीय ताकतें इस पर अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिशें करती रहेंगी. कुछ ही साल बाद पूरी दुनिया ने देखा कैसे बांग्लादेश बना. कितनी मार-काट और हिंसा के बाद.
उन्होंने भारत में रहने वाले मुसलमानों को भी कहा था कि बंटवारे में पाकिस्तान मत जाइए. आज़ाद ने कहा था कि भले ही मुल्क मुसलमानों के लिए बन रहा है लेकिन इसमें यहाँ से गये मुसलमानों को बाहरी की ही तरह देखा जाएगा. उन्होंने मुसलमानों को समझाया कि उनके सरहद पार चले जाने से पाकिस्तान मज़बूत नहीं होगा बल्कि भारत के मुसलमान कमज़ोर हो जाएंगे. राजनीति की संभावनाओं को पहले से भांप सकने वाला ये विद्वान नेता का सम्मान महात्मा गांधी भी करते थे. हम रेख़्ता बुक्स पर आज इन्हीं की एक किताब लाए हैं जो राजनीतिक और समाजिक इतिहास के नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण है. किताब का नाम है "क़ौल-ए-फैसल".
ये किताब मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बौद्धिक और राजनीतिक व्यक्तित्व के उन पहलुओं से हमारा परिचय कराती है, जिन्हें सार्वजानिक विमर्श और अकादमिक बहसों-मुबाहिसों में आमतौर पर नज़रअंदाज़ किया जाता है। आज़ाद की लिखी ये किताब स्वतंत्रता के विमर्श को समझने के लिए पर्याप्त और ज़रूरी किताब है.
मोहम्मद नौशाद ने इस किताब का अनुवाद करके हिन्दी-उर्दू के पाठकों को एक सुनहरा मौका दिया है ताकि वो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के नजरिये से राष्ट्रवाद और राजनीति की परिभाषा देख-समझ सकें.यही वो किताब है जिसके बारे में गांधी ने कहा था कि भारत मे राष्ट्रवाद को समझने के लिए सबको ये किताब पढ़नी चाहिए. तो बस इस किताब को अपनी स्टडी टेबल तक ले आइये.
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