Noor e Ghazal Combo
शाइरी में दिलचस्पी है तो ये कहने की ज़रूरत नहीं है कि एक अच्छी ग़ज़ल आपको क्या महसूस करा सकती है. उसे पढ़ कर आपका एक पूरा दिन बेहतर बन सकता है और उसी ग़ज़ल के कई शे'र ना जाने कितने दिनों तक आपके साथी बने रहें. रेख़्ता बुक्स की ये नई पेशकश यही ध्यान में रखते हुए है. हम आपके लिए ऐसे पांच शायरों की ग़ज़लों का संकलन लाए हैं जिनकी शाइरी उर्दू दुनिया एक मुकाम मानी जाती है. किताबों के इस सेट का नाम है 'नूर ए ग़ज़ल'
इस फेहरिस्त में पहली किताब है ग़ालिब की जिसमें ग़ालिब की ग़ज़लों का संकलन है.
1. ग़ालिब (Ghalib)
ग़ालिब को इस दुनिया मे आए 200 बरस से ज़्यादा हो गए. लेकिन ये कहने की ज़रूरत नहीं उनकी शाइरी किस रूप में हमारे बीच में अब तक है. साहित्य के हज़ारों साल लम्बे इतिहास में जो चंद लोग विश्व साहित्य के नजरिये से भी अमर हैं, ग़ालिब उन्हीं में से एक हैं। उर्दू के इस महान शायर ने अपने समय की पीड़ा और सच को जिस तरह से बयान किया, वो उर्दू शाइरी के लिए बिल्कुल नया था. ग़ालिब ने ख़ुद ही कहा था -
हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़े-बयां और
इसी 'अंदाज़े-बयां-और' का लुत्फ़ उठाने के लिए हमने ग़ज़लों की किताबों के फेहरिस्त में पहला नाम ग़ालिब का शुमार किया है.
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2. मीर तक़ी मीर (Meer Taqi Meer)
मीर का परिचय ग़ालिब के ही एक शे'र से करते हैं.
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'
कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था
उर्दू शायरी पर चर्चा हो और मीर छूट जाएं मुमकिन नहीं. मीर वही शायर हैं जिनके बारे में फ़िराक़ कहते थे-
' हमारे लिए लिखने को कुछ नहीं बचा। सब उस कम्बख़्त 'मीर' ने कह डाला'
ये वाक्य ही बताने को बहुत है कि मीर की शाइरी कितनी बहुरंगी थी. दुनिया के हर विषय पर मीर ने कहा और क्या ख़ूब कहा. लेकिन मीर ख़ुद की शाइरी पर क्या कहते थे-
हमको शायर न कहो मीर कि साहिब हमने
दर्दो-ग़म कितने किए जमा तो दीवान किया
इस संकलन में मीर के भी इस अंदाज का आप लुत्फ़ उठा सकते हैं.
3. ज़ौक़ की प्रतिनिधि ग़ज़लें (Zauq)
ज़ौक़ अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर के उस्ताद थे. पूरा नाम शेख़ इब्राहिम ज़ौक़. ग़ालिब के समकालीन शायर और उनके बहुत बड़े प्रतिद्वंद्वी भी. ज़ाहिर है इनकी शाइरी भी इबारत ही थी. ज़ौक़ ने कहा था
ज़ुल्फ़ें तिरी काफ़िर उन्हें दिल से मिरे क्या काम
दिल काबा है और काबा मुसलमां के लिए है
किताबों की इस सेट में एक किताब ज़ौक़ की ग़ज़लों का संकलन है.
4. दाग़ देहलवी (Dagh Dehalvi)
आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद
बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता
ये शाइरी कहने वाले शायर का नाम है दाग़ देहलवी. उर्दू का ये आला शायर शाइरी के दुनिया में अपने किस्म के नयेपन के लिए जाना जाता है. दाग़ ने ही कहा था
आओ मिल जाओ कि ये वक़्त न पाओगे कभी
मैं भी हम-राह ज़माने के बदल जाऊँगा
सच बोलती इन शायरियों के मालिक दाग़ देहलवी की ग़ज़लों का लुत्फ़ भी इन्हीं किताबों के सेट में से एक किताब में मिलेगा.इसी तरह इस सेट में तीन और शायरों की ग़ज़लों का संकलन भी शामिल हैं. बहादुर शाह ज़फर, अल्लामा इक़बाल और मोमिन.
ग़ज़लें पढ़ने के लुत्फ़ का ये मौक़ा आप बिल्कुल नज़रंदाज़ नहीं कर सकते. किताबों का ये ख़ूबसूरत ज़खीरा अभी ऑर्डर करें.
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