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Ulat Pulat ka Roz-Naamcha

Patras Bukhari

Rs. 199 Rs. 159

About Book 'उलट-पुलट का रोज़-नामचा' पतरस बुख़ारी की इकलौती किताब 'मज़ामीन-ए-पतरस' का देवनागरी रूपांतरण है जिसे उर्दू साहित्यकारों और पाठकों में अप्रत्याशित प्रसिद्धि मिली है| इस किताब में  मे ग्यारह लेख शामिल हैं जिनमे हास्य-व्यंग की मौलिकता और पराकाष्ठा को देखा जा सकता है। इतना कम लिखने के बावजूद उनकी... Read More

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About Book
'उलट-पुलट का रोज़-नामचा' पतरस बुख़ारी की इकलौती किताब 'मज़ामीन-ए-पतरस' का देवनागरी रूपांतरण है जिसे उर्दू साहित्यकारों और पाठकों में अप्रत्याशित प्रसिद्धि मिली है| इस किताब में  मे ग्यारह लेख शामिल हैं जिनमे हास्य-व्यंग की मौलिकता और पराकाष्ठा को देखा जा सकता है। इतना कम लिखने के बावजूद उनकी गद्य रचनाएँअपनी बेपनाह रचनात्मकता से ओत-प्रोत हो कर साहित्य के दामन को विस्तृत करती हैं। उन्होंने मनुष्य और उसके जीवन की अव्यवस्था को अपने विशिष्ट भाषाई पैटर्न में ढाल कर पाठकों को हंसने का अवसर प्रदान किया है परंतु हास्य-व्यंग की तार्किकता में जीवन के घाव को भी इस मे देखा जा सकता है।
About Author
पीर सय्यद अहमद शाह बुख़ारी, जो ‘पतरस’ बुख़ारी के नाम से मश्हूर हैं, 1 अक्तूबर, 1898 को पेशावर (पाकिस्तान) में पैदा हुए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। 1922 में उन्होंने गवर्मेंट कालेज, लाहौर में अंग्रेज़ी में एम‍.ए. सिर्फ़ एक साल में किया और वहीं लेक्चरर नियुक्त हो गए। बा’द में उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी से भी डिग्री हासिल की। 1927 में वो गवर्मेंट कालेज, लाहौर के प्रिंसिपल हो गए। वो ऑल इंडिया रेडियो के डारेक्टर जनरल भी रहे। पतरस बुख़ारी 1951 में, संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने देश के स्थायी प्रतिनिधि बने और 1954-1958 तक संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी रहे।
‘पतरस’ बुख़ारी को उर्दू के बेहतरीन हास्य लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी हास्य-लेखों की एक अकेली किताब ‘पतरस के मज़ामीन’ आज भी ताज़ा और मज़ेदार लगती है। उन्होंने अनुवाद भी किए और ड्रामा और थिएटर पर भी लेख लिखे। उनका देहांत 01 दिसम्बर, 1958 को न्यूयार्क, अमेरिका में हुआ।
Description
About Book
'उलट-पुलट का रोज़-नामचा' पतरस बुख़ारी की इकलौती किताब 'मज़ामीन-ए-पतरस' का देवनागरी रूपांतरण है जिसे उर्दू साहित्यकारों और पाठकों में अप्रत्याशित प्रसिद्धि मिली है| इस किताब में  मे ग्यारह लेख शामिल हैं जिनमे हास्य-व्यंग की मौलिकता और पराकाष्ठा को देखा जा सकता है। इतना कम लिखने के बावजूद उनकी गद्य रचनाएँअपनी बेपनाह रचनात्मकता से ओत-प्रोत हो कर साहित्य के दामन को विस्तृत करती हैं। उन्होंने मनुष्य और उसके जीवन की अव्यवस्था को अपने विशिष्ट भाषाई पैटर्न में ढाल कर पाठकों को हंसने का अवसर प्रदान किया है परंतु हास्य-व्यंग की तार्किकता में जीवन के घाव को भी इस मे देखा जा सकता है।
About Author
पीर सय्यद अहमद शाह बुख़ारी, जो ‘पतरस’ बुख़ारी के नाम से मश्हूर हैं, 1 अक्तूबर, 1898 को पेशावर (पाकिस्तान) में पैदा हुए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। 1922 में उन्होंने गवर्मेंट कालेज, लाहौर में अंग्रेज़ी में एम‍.ए. सिर्फ़ एक साल में किया और वहीं लेक्चरर नियुक्त हो गए। बा’द में उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी से भी डिग्री हासिल की। 1927 में वो गवर्मेंट कालेज, लाहौर के प्रिंसिपल हो गए। वो ऑल इंडिया रेडियो के डारेक्टर जनरल भी रहे। पतरस बुख़ारी 1951 में, संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने देश के स्थायी प्रतिनिधि बने और 1954-1958 तक संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी रहे।
‘पतरस’ बुख़ारी को उर्दू के बेहतरीन हास्य लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी हास्य-लेखों की एक अकेली किताब ‘पतरस के मज़ामीन’ आज भी ताज़ा और मज़ेदार लगती है। उन्होंने अनुवाद भी किए और ड्रामा और थिएटर पर भी लेख लिखे। उनका देहांत 01 दिसम्बर, 1958 को न्यूयार्क, अमेरिका में हुआ।

Additional Information
Book Type

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Publisher Rekhta Publications
Language Hindi
ISBN 978-9391080242
Pages 129
Publishing Year 2021

Ulat Pulat ka Roz-Naamcha

About Book
'उलट-पुलट का रोज़-नामचा' पतरस बुख़ारी की इकलौती किताब 'मज़ामीन-ए-पतरस' का देवनागरी रूपांतरण है जिसे उर्दू साहित्यकारों और पाठकों में अप्रत्याशित प्रसिद्धि मिली है| इस किताब में  मे ग्यारह लेख शामिल हैं जिनमे हास्य-व्यंग की मौलिकता और पराकाष्ठा को देखा जा सकता है। इतना कम लिखने के बावजूद उनकी गद्य रचनाएँअपनी बेपनाह रचनात्मकता से ओत-प्रोत हो कर साहित्य के दामन को विस्तृत करती हैं। उन्होंने मनुष्य और उसके जीवन की अव्यवस्था को अपने विशिष्ट भाषाई पैटर्न में ढाल कर पाठकों को हंसने का अवसर प्रदान किया है परंतु हास्य-व्यंग की तार्किकता में जीवन के घाव को भी इस मे देखा जा सकता है।
About Author
पीर सय्यद अहमद शाह बुख़ारी, जो ‘पतरस’ बुख़ारी के नाम से मश्हूर हैं, 1 अक्तूबर, 1898 को पेशावर (पाकिस्तान) में पैदा हुए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। 1922 में उन्होंने गवर्मेंट कालेज, लाहौर में अंग्रेज़ी में एम‍.ए. सिर्फ़ एक साल में किया और वहीं लेक्चरर नियुक्त हो गए। बा’द में उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी से भी डिग्री हासिल की। 1927 में वो गवर्मेंट कालेज, लाहौर के प्रिंसिपल हो गए। वो ऑल इंडिया रेडियो के डारेक्टर जनरल भी रहे। पतरस बुख़ारी 1951 में, संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने देश के स्थायी प्रतिनिधि बने और 1954-1958 तक संयुक्त राष्ट्र के अंडर-सेक्रेटरी रहे।
‘पतरस’ बुख़ारी को उर्दू के बेहतरीन हास्य लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी हास्य-लेखों की एक अकेली किताब ‘पतरस के मज़ामीन’ आज भी ताज़ा और मज़ेदार लगती है। उन्होंने अनुवाद भी किए और ड्रामा और थिएटर पर भी लेख लिखे। उनका देहांत 01 दिसम्बर, 1958 को न्यूयार्क, अमेरिका में हुआ।