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Satish Bedaag Hoshiyari Dil-e-Nadan Bahut Karta Hai
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About Book "होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है" जनाब इरफ़ान सिद्दीक़ी की चुनिन्दा उर्दू ग़ज़लों का संग्रह है जिसे रेख़्ता फाउन्डेशन के "रेख़्ता नुमाइन्दा कलाम" सीरीज़ के तहत शाया किया गया है| इस सीरीज़ के ज़रीए रेख़्ता फाउन्डेशन आज के दौर के नायाब लेकिन कम मशहूर शाइरों का सर्वश्रेष्ठ कलाम आम... Read More
About Book
"होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है" जनाब इरफ़ान सिद्दीक़ी की चुनिन्दा उर्दू ग़ज़लों का संग्रह है जिसे रेख़्ता फाउन्डेशन के "रेख़्ता नुमाइन्दा कलाम" सीरीज़ के तहत शाया किया गया है| इस सीरीज़ के ज़रीए रेख़्ता फाउन्डेशन आज के दौर के नायाब लेकिन कम मशहूर शाइरों का सर्वश्रेष्ठ कलाम आम पाठकों के दरमियान ला रहा है| इरफ़ान सिद्दीक़ी नौ-रवायती शाइरी के अलमबरदार शाइर हैं जिन्होंने अपनी मेधा और मंतिक़ से उर्दू शाइरी को एक नया हुस्न अता किया है|
About Author
इरफ़ान सिद्दीक़ी 11 मार्च 1939 को बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुए। बदायूँ और बरेली में शिक्षा प्राप्त की और समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएशन किया। इरफ़ान सिद्दीक़ी का पहला कविता संग्रह ‘कैन्वस’ 1978 में प्रकाशित हुआ जिसके बा’द शब-दर्मियाँ (1984), सात समावात (1992), इ’श्क़-नामा (1997) और हवा-ए-दश्त-ए-मारिया (1998) का प्रकाशन हुआ। उनके दो कुल्लियात (संग्रह) में से ‘दरिया’ 1999 इस्लामाबाद से और ‘शह्र-ए-मलाल’ 2016 में देहली से प्रकाशित हुआ। उनकी अन्य किताबों में ‘अ’वामी तर्सील’ (1977) और ‘राब्ता-ए-आ’म्मा’, (1984) ‘रुत-सिंघार’ (कालिदास के नाटक ऋतु संघारम का उर्दू अनुवाद), मालविका आग्नि मित्रम (कालिदास के नाटक का उर्दू अनुवाद) और ‘रोटी की ख़ातिर’ (अरबी उपन्यास का उर्दू अनुवाद) शामिल हैं। उन्हें उर्दू अकादमी उत्तर प्रदेश और ग़ालिब इंस्टीट्यूट, देहली के सम्मान प्राप्त हुए।