Chalo Aaj Mil kar Naya Kal Banayen
| Item Weight | 200 Grams |
| ISBN | 978-9382901938 |
| Author | Kusum Veer |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2016 |
| Edition | 1 |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Chalo Aaj Mil kar Naya Kal Banayen
इस कविता संग्रह में देशप्रेम, प्रेम, प्रकृति तथा दार्शनिक व सामाजिक तथा अन्य विषयों पर कविताएँ सम्मिलित हैं। देश-प्रेम की कविताओं में कवयित्री न केवल भारत के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है बल्कि भारत के गौरव को पुनः जीवित करने की ओर मिलकर नया कल बनाने के लिए प्रेरित करती है। प्रेम पर लिखी कविताओं में मिलन तथा विरह दोनों का अच्छा वर्णन है।'संध्या सिदूर लुटाती है' कविता में रवि तथा संध्या को प्रेमी-प्रेमिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रकृति पर अच्छी कविताएँ हैं। इन कवताओं में कवयित्री प्रकृति से प्राप्त उपहारों की प्रशंसा करती है और प्रकृति से सीख लेने को प्रेरित करती है। दार्शनिक कविताओं में कवयित्री भौतिक वस्तुओं से अधिक संस्कारों को महत्त्व देती है और आत्मबोध के लिए प्रेरित करती है। सामाजिक विषयों में बाल-शोषण, नारी-शक्ति, महिला-भ्रूण हत्या आदि पर सशक्त कविताएँ हैं।भाषा की दृष्टि से कविताओं में विविधता है। एक ओर कुछ कविताएँ जयशंकर 'प्रसाद' की शैली की याद दिलाती हैं तो दूसरी ओर कुछ कविताओं, जैसे—'क्यों याद आई आज' में उर्दू शब्दों का बाहुल्य है। पुस्तक रोचक, पठनीय और संग्रहणीय है। मैं हिंदी साहित्य जगत में कुसुम वीर जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।—डॉ. दिनेश श्रीवास्तवसंपादक, '���िंदी-पुष्प'मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
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