Yuva Manas Ke Ekanki
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-8173152009 |
Author | Giriraj Sharan |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1st |

Yuva Manas Ke Ekanki
आकाश : बात यह है पापा, नौजवान पीढ़ी की सोच में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है। अब वह बड़ों की हर बात का समर्थन करने को तैयार नहीं है।कैलाश : तुम्हारा तात्पर्य है कि श्रद्धा का ह्रास हो रहा है।आकाश : हाँ, क्योंकि श्रद्धा का अर्थ है अंधविश्वास और हम कोरे अंधविश्वास का समर्थन नहीं कर सकते।कैलाश : नहीं आकाश, तुम्हें धोखा हुआ है। श्रद्धा का अर्थ अंधविश्वास कदापि नहीं हो सकता!आकाश : क्यों, क्या श्रद्धा यह नहीं सिखाती कि जिसके प्रति श्रद्धा रखो, उसकी हर बात मानो? उसके उपदेशों का अक्षरश: पालन करो?कैलाश : नहीं, श्रद्धा ऐसा कभी नहीं कहती। हर बात को पहले अनुभव की कसौटी पर कसो, यदि ठीक उतरे तो उसके प्रति श्रद्धा रखो। यदि हम व्यर्थ अंधविश्वास में पड़े रहें तो इसमें बेचारी श्रद्धा का क्या दोष है?—इसी संकलन सेआधुनिक जीवन के मशीनीकरण, स्वार्थपरता, मूल्यहीनता और अकेलेपन के एहसास में जबरन जीते और जी का जंजाल बनते रिश्तों की विचारोत्तेजक विवेचना करनेवाले ये एकांकी एक बार पढ़कर आप भूल न पाएँगे। गुजरती हुई पीढ़ी के प्रौढ़ों और नवागत पीढ़ी के युवाओं के बीच संवादहीनता, सद्भाव की कमी और समरसता की समाप्ति के समकालीन संदर्भ में टूटते-बिखरते संबंधों और सहमी हुई संवेदनाओं के समय-सत्य का संकलन है—
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