Viraat Purush Samajshastri Nanaji
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| Item Weight | 800 Grams |
| ISBN | 978-9351860778 |
| Author | Nana Deshmukh |
| Language | Hindi |
| Publisher | Prabhat Prakashan |
| Book Type | Hardbound |
| Publishing year | 2017 |
| Edition | 1st |
| Return Policy | 5 days Return and Exchange |
Viraat Purush Samajshastri Nanaji
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एक समरस, संस्कारित, सुदृढ़, सबल, सशक्तीकृत समाज, नानाजी के विचारों व कर्तृत्व के केंद्र में था। सामाजिक जीवन में परस्पर पूरकता व सहजीवन नानाजी के लिए सामाजिक पुनर्रचना के मूलमंत्र थे। देशज मूल्यों के प्रति नानाजी का आग्रह, वर्तमान युग को समझने की उनकी ललक और दोनों में तालमेल बिठाने का जज्बा, नानाजी को अन्य महापुरुषों से अलग करते हैं।सामाजिक कार्यों में उन्होंने समाज की पहल और भागीदारी से विकास का जो मॉडल प्रस्तुत किया, उसकी सराहना देश भर में होती रही है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने स्वयं इस मॉडल को देखने के बाद कहा था कि विभिन्न राज्य सरकारों को इस मॉडल को अपनाना चाहिए। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चित्रकूट के विकास को चमत्कार बताते हुए कहा था कि 'नानाजी से सीखें कि कैसे बदला जा सकता है देश।'वे अपनी बातों में, अपने भाषणों में, लेखों में, पत्रों में सामाजिक पुनर्रचना के विविध आयामों पर बार-बार चर्चा किया करते थे, उन्हें रेखांकित किया करते थे। नानाजी द्वारा स्थापित सभी प्रकल्पों में इस विचार को हम आकार लेते हुए देख सकते हैं। इन सभी प्रकल्पों की कल्पना व रूपरेखा जो नानाजी स्वयं लिखा करते थे, इस खंड में मूल रूप में ही दी जा रही है।
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